(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
World Cotton Day 2022: रोटी से लेकर कपड़ा तक मेन रोल अदा करता है कपास, किसान भी जान लें कपास से जुड़ी ये खास बातें
Importance of Cotton: आज लाखों किसान, मजदूर, रिसर्चर, व्यवसायों और उद्योग तक में कपास से रोजगार का सृजन हो रहा है. विश्व कपास दिवस 2022 के लिये "कपास के लिए बेहतर भविष्य की बुनाई" थीम रखी गई है.
World Cotton Day: रोटी, कपड़ा और मकान, तीनों ही आदर्श जीवन जीने के लिये जरूरी है. इन मूलभूत आवश्यकताओं में कपड़ा दूसरी बेसिक आवश्यकता है, जिसे बनाने में कपास का इस्तेमाल किया जाता है, बेशक आज बाजार में फैशन और फैब्रिक के नाम पर कई वैरायटी आज चुकी है, लेकिन जब भी कंफर्ट और टिकाऊ कैटेगरी की बात आती है तो आज भी कपास से बना कपड़ा टॉप पर दिखाई देता है.
रुझान तो ये भी बताते हैं कि आज बदलते समय में कपास (Cotton) से जुड़े कपड़ा उद्योग काफी प्रभावित हुये हैं. लोग कपास, इससे जुड़ी इंडस्ट्री (Cotton Industry) और इससे बने उत्पादों को उतनी तवज्जो नहीं देते, जितनी इसे मिलने चाहिये. इसके बावजूद आज यह क्षेत्र लाखों लोगों की आय का साधन है. कृषि से लेकर कपास उद्योग और कपड़ा इंडस्ट्री के जरिये आज लाखों किसान, मजदूर और बड़े-बड़े डिजाइनर तक रोजगार पा रहे हैं.
विश्व कपास दिवस
भारत समेत कई देशों में कपास की भारी डिमांड रहती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन और दूसरी समस्याओं के कारण आज इसका उत्पादन कम होता जा रहा है. कपास का क्षेत्र आज इसी तरह की कई समस्याओं का सामना कर रहा है. यही कारण है कि कपास के उत्पादन, उद्योग, रोजगार, बदलाव से जुड़ी चुनौतियों को समझने के लिये संयुक्त राष्ट्र(United Nations), विश्व खाद्य संगठन(World Food Organization), संयुक्त राष्ट्र व्यापार व विकास सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र और अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति द्वारा 7 अक्टूबर को विश्व कपास दिवस (World Cotton Day 2022) के तौर पर मनाया जा रहा है. इस साल विश्व कपास दिवस 2022 मनाने के लिये "कपास के लिए बेहतर भविष्य की बुनाई" थीम (World Cotton day 2022 Theme) निर्धारित की गई है.
कपास उत्पादन में तकनीक के माध्यम से वृद्धि करना और इस काम से जुड़े सभी लोगों को एक साथ जोड़े रखना और ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) October 7, 2022
आज भारत कपास के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है।#विश्व_कपास_दिवस #WorldCottonDay pic.twitter.com/EO7nJ2i5jT
क्यों मनायें विश्व कपास दिवस
आज जब दुनिया तेजी से तरक्की कर रही है. तकनीक और अनुसंधान के क्षेत्र में काफी निकल चुकी है. ऐसे में कपास के भी कई विकल्प आते जा रहे हैं. ऐसे में इसकी वैल्यू को कायम रखने के लिये कई तरह के आयोजन किया जाते हैं. यह दिन कपास से जुड़े किसानों, प्रोसेसर, रिसर्चर, व्यवसायों, उद्योगों समेत इंटरनेशनल कम्यूनिटी की मेजबानी करता है.
- विश्व कपास दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य कपास के उत्पादन, उत्पादन से जुड़ी तकनीक और इससे बने उत्पादों का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करना है.
- इस दिन कपास के उत्पादन के लिये हितकारी बदलाव और इससे जुड़े हर वर्ग और क्षेत्र के लोगों को बेहतर काम के लिये मान्यता देने के लिये भी मनाया जताा है.
- यह दिन कपास और कपड़ा क्षेत्र के लिये कार्यरत लोगों को एक साथ जोड़ता है, ताकि इसके जरिये रोजगार के अवसरों को बढ़ाया जा सके.
कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है भारत
आज भारत कपास उत्पादन के क्षेत्र में नंबर एक पर है. यहां ना सिर्फ कपास की खेती, उसके उत्पादन, बल्कि इससे जुड़े उद्योगों से भी लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी है. आंकड़ों की मानें तो भारत में हर साल करीब 62 साल टन कपास पैदा होती है, जो पूरी दुनिया के कपास उत्पादन का कुल 38 प्रतिशत है. वहीं कपास के उत्पादन में चीन दूसरे नंबर पर है.
आय का साधन है कपास
भारत में कपास की खेती (Cotton Cultivation) तो बड़े पैमाने पर होती ही है, साथ ही एक टन कपास के जरिये करीब 5 लोगों को सीधा रोजगार (Employment from cotton) मिलता है. यह एक नेचुरल फाइबर है, जो शरीर के लिये काफी बेहतर रहता है. सबसे अच्छी बात यह है कि कपास की खेती (Cotton Farming) के लिये ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती.
वहीं अचानक पानी का कमी या सूखा पड़ने पर भी इसकी फसल ज्यों की त्यों खेतों में खड़ी रहती है. आज दुनिया में सिर्फ 2.1 खेती योग्य जमीन पर ही कपास का उत्पादन (Cotton production) मिल रहा है, लेकिन इससे दुनियाभर में 27 प्रतिशत तक आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें:-
उपज की ऑनलाइन बिक्री में कैसे काम करता है E-NEM का नेटवर्क, यहां आसान शब्दों में समझें किसान