Chili Farming: शायद ही ऐसी कोई फसल होगी, जो भारत की मिट्टी में ना उगाई जा सके. यहां कई तरह की मिट्टी और जलवायु मौजूद है और हर मिट्टी-मौसम के जरिए एक अलग और अनोखी फसल का उत्पादन मिलता है. वैसे तो भारत कई फसलों का सबसे बड़ा या इकलौता उत्पादक है, लेकिन आज हम बात करेंगे दुनिया की सबसे तीखी मिर्च भूत झोलकिया की, जिसे किंग मिर्चा, राजा मिर्चा, नागा मिर्चा, गोस्ट पेपर के नाम से भी जाते हैं. सबसे ज्यादा तीखेपन के लिए भूत झोलकिया को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है. भारत के उत्तर पूर्वी राज्य नागालैंड में उगने वाली ये भूत झोलकिया को कई देशों में निर्यात किया जा रहा है.
भारत इसका सबसे बड़ा उत्पदान देश है. आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन इस मिर्च के तीखेपन के कारण इसका इस्तेमाल खाने में कम और डिफेंस में ज्यादा किया जाता है. नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में इस मिर्च से कई व्यंजन को बनते ही है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसी मिर्च से डिफेंस में इस्तेमाल होने वाली चिली पेपर स्प्रे और हैंड ग्रेनेड भी बनाए जाते हैं. आज कई देशों में पाउडर और रॉ फॉर्म में भूत झोलकिया बेचा जा रहा है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
सुरक्षा बलों का सुरक्षा कवच है भूत झोलकिया
कई रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि भूत झोलकिया मिर्च के तीखेपन के कारण कुछ लोगों की तबियत भी बिगड़ जाती है. यही वजह है कि नॉर्थ-ईस्ट के अलावा बाकी जगहों पर इसका इस्तेमाल खाने में नहीं किया जाता, लेकिन अपनी इसी खासियत की वजह से यह मिर्च आज भारतीय सुरक्षा बलों का सुरक्षा कवच बन चुकी है. देश सुरक्षा बल अब उपद्रवियों के खिलाफ इस मिर्च का इस्तेमाल कर रहे हैं.
रिपोर्ट्स की मानें तो सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ की ग्वालियर, टेकनपुर स्थित टियर स्मोक यूनिट में भूत झोलकिया मिर्च से आंसू गैस के गोले बनाए जा रहे हैं. इन गोलों के दागने से कोई शारिरिक नुकसान नहीं होता, लेकिन आंतकवादी और उपद्रवियों के आंख में तेज जलन और दम घुटने की परेशानी हो जाती है.
आज देश की सबसे बड़ी रक्षा संस्थान डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने भूत झोलकिया का तगड़ा तीखापन देख इसे सुरक्षा उपकरणों में शामिल किया है. महिलाओं की आत्मरक्षा के लिए भी भूत झोलकिया से चिली स्प्रे जैसे तमाम प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं, हालांकि इस मिर्च स्प्रे के कुछ घातक नुकसान नहीं है, लेकिन कुछ समय तक उपद्रवियों को रोकने और भटकाने के लिए इससे अच्छा विकल्प भी कुछ और नहीं है.
कैसे पता लगाएं मिर्च का तीखापन
किसी भी मिर्च का तीखापन उसमें मौजूद एलकेलाइट रसायन कैप्सेसिन (alkaloid capsaicin) से निर्धारित किया जाता है. वहीं हरी मिर्च के पक जाने पर जो लाल रंग उभरकर आता है, उसके पीछे भी कैप्सेनथिन (capsanthin) है. तीखापन निर्धारित करने के लिए स्कोवाइल हीट यूनिट (एसएचयू) मापक का इस्तेमाल किया जाता है. मिर्च की जिस किसी प्रजाति में एसएचयू अधिक पाया जाता है, उसे ही सबसे तीखी मिर्च का खिताब मिलता है, जो भूत झोलकिया के पास है. एक्सपर्ट्स की मानें तो सामान्य मिर्च में एसएचयू का स्तर 2500-5000 होता है, लेकिन भूत झोलकिया मिर्च में तीखापन 10,41,427 एसएचयू रिकॉर्ड किया जा चुका है.
कैसे होती है भूत झोलकिया की खेती
दुनिया में मिर्च की सबसे खास किस्म भूत झोलकिया को उगाने का तरीका भी बेहद खास है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भूत झोलकिया मिर्च के पौधों की ऊंचाई 40 से 120 सेमी तक होती है, जिसमें 1 से 1.2 इंच चौड़ी और 3 इंच लंबी मिर्चों का प्रोडक्शन मिलता है. भूत झोलकिया के बीजों से बुवाई-रोपाई करने के बाद 75 से 90 दिनों के अंदर प्रोडक्शन मिल जाता है. सिर्फ मिर्च के तौर पर ही नहीं, मसाले के लिए भी भूत झोलकिया की भारी डिमांड है.
आज भूत झोलकिया की बढ़ती डिमांड के बीच नागालैंड, मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश में भी किसानों ने इसकी खेती चालू कर दी है. पूर्वोत्तर राज्यों में भूत झोलकिया मिर्च से सौस भी बनाई जाती है. भारतीय बाजार में 300 रुपये किलो ग्राम के भाव बिकने वाली भूत झोलकिया आज लंदन में 600 रुपये किलो के भाव बिक रही है.
कौन-कौन सी हैं भारत की सबसे तीखी मिर्चें
केंद्री वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिर्ची के तीखेपन में पहला स्थान प्योर कैप्साइसिन है. दूसरे नंबर पर स्टैंडर्ड पेपर स्प्रे, तीसरे नंबर पर कैरोलिना रीपर और चौथे नंबर पर ट्रिनिडाड मोरुगा स्कोर्पियन का नाम शआमिल है. भूत झोलकिया का नाम भी इन टॉप 5 तीखी मिर्चों में शामिल है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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