Pearl Millet Farming: अकसर सुनने में आता है कि हमारे पूर्वजों ने अपने जीवन को भरपूर जिया. उस समय लगभग 100 साल या उससे अधिक भी उम्र हुआ करती थी. इतिहास के पन्नों को खंगालें तो पता चलता है कि उस समय का खानपान भी कुछ अलग ही था. आज हमारी डाइट गेहूं-चावल तक सिमट कर रह गई है, लेकिन उस समय पोषण से भरपूर मोटे अनाजों में हमारे पूर्वजों को ना सिर्फ बीमारियों से मुक्त रखा, बल्कि उन्हें लंबी आयु का भी वरदान दिया. इन मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा जिक्र बाजरा का मिलता है, जिसे सबसे पुरानी फसल का भी खिताब प्राप्त है.
पुराने समय में बाजरा की खुशबू से रसोईया महकती थीं. छोटे दानों वाली इस फसल से बने उत्पाद जितने पौष्टिक होते हैं, किसानों के लिए इनकी खेती भी उतनी ही ज्यादा फायदेमंद है. सबसे अच्छी बात तो यह है कि बाजरा जैसे मोटे अनाज आज देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा में अहम योगदान दे रहे हैं. यही वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 (International Year of Millets 2023) के दौरान देश में बाजरा के उत्पादन के साथ-साथ खानपान में इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है.
क्या है बाजरे का इतिहास
भारत को मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक देश कहा जाता है, इनमें बाजरा का उत्पादन सबसे ज्यादा है. हमारे कई किसान ना जाने कितनी पीढ़ियों से बाजरा का उत्पादन ले रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 1500 ईसा पूर्व से ही भारत में बाजरा उत्पादन के प्रमाण मिले हैं. इस फसल की खेती सबसे आसान है. असिंचिंत इलाकों के लिए तो बाजरा किसी वरदान से कम नहीं है. इस खेती में ना उर्वरक का खर्च है और ना ही कीटनाशक का. जमीन बंजर है तब भी बाजरा उगाया जा सकता है. जलवायु परिवर्तन का बाजरा की फसल पर बुरा असर नहीं पड़ता, इसलिए आज बाजरा की खेती काफी प्रोत्साहित किया जा रहा है.
इस राज्य में सबसे ज्यादा उत्पादन
राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा एरिया असिंचित है, जहां सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं है और जमीन भी काफी सूखी-बंजर है. इन्हीं राज्यों से बाजरा का सबसे ज्यादा उत्पादन मिल रहा है. पिछले 5 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020-21 में भारत ने सबसे ज्यादा 13.71 से 18 मिलियन टन बाजरा का उत्पादन किया है. देश में बाजरा के उत्पादन में राजस्थान सबसे आगे है. यहां पानी की काफी कमी है, ज्यादा इलाके सूखे और बंजर है, जिसके चलते किसान पूरी तरह से बारिश के पानी पर निर्भर हैं. ऐसे में बाजरा की खेती राजस्थान के किसानों को मसीहा है.
बाजरा की हाइब्रिड वैरायटी ले लाभ
वैसे तो बाजरा की खेती के प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता में भी मिले हैं. देश में बाजरा की कई देसी किस्में उगाई जा रही है, लेकिन अधिक उत्पादन और कीट-रोगों के प्रतिरोधी किस्मों का चलन भी बढ़ता जा रहा है. अब कृषि वैज्ञानिक भी बाजरा का क्वालिटी उत्पादन हासिल करने के लिए वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके लिए बाजरा की कई हाइब्रिड किस्में इजाद की गई हैं, जो पोषण से भरपूर है. ये किस्मों पोषण से भरपूर है, जो शरीर की इम्यूनिटी को बेहतर बनाती हैं.
क्यों खास है बाजरा
बाजरा में मैग्नीशियम और पोटैशियम की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर के साथ हार्ट हेल्थ को भी मैनेज करती है. डायबिटीज के रोगियों के लिए भी बाजरा को लाभकारी बताया जाता है. गेहूं और चावल से ज्यादा पोषण बाजरा में होता है, इसलिए अपने खान-पान में 10 से 15 फीसदी बाजरा को अवश्य शामिल करें. आज भारत सरकार भी अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के जरिए दुनिया को बाजरा की खूबियों से रूबरू करवा रही है. बाजरा को सिर्फ भारत में ही नहीं, कई देशों में उगाया जा रहा है. यह 6वीं सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है और भारत इसका पांचवा सबसे बड़ा निर्यातक देश है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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