Water Conservation: पानी इंसान की बुनियादी जरूरत है. धरती का करीब 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से घिरा हुआ है तो वहीं इंसान के शरीर में भी 60-80 फीसदी पानी होता है. इसके बावजूद मौजूदा वक्त में दुनिया की एक बड़ी आबादी पानी की कमी का सामना कर रही है. भारत के कई इलाकों में ऐसी चुनौतियां देखने को मिलती हैं, जिन्हें दूर करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं और अभियान चलाए हैं. खासतौर पर खेती में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है, क्योंकि खेती-किसानी में पानी की अच्छी-खासी खपत है. आज विश्व जल दिवस के अवसर पर हम बताएंगे कि भारत सरकार ने खेती-किसानी में पानी बचाने के साथ-साथ बेहतर फसल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए कौन-कौन सी कृषि योजनाएं चलाई हैं.


क्यों मनाएं विश्व जल दिवस


आज दुनिया का बड़ा हिस्सा अपनी दैनिक आवश्यकताओं के लिए पानी की कमी से जूझ रहा है. इस समस्या को समझते हुए विश्व में पानी की बर्बादी रोकने, महत्व समझने, संरक्षण करने और सही मात्रा में पानी का प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए विश्व जल दिवस मनाया जाता है.


विश्व जल दिवस 2023 के लिए 'परिवर्तन में तेजी' थीम रखी गई है, क्योंकि हमारे जल स्रोत तालाब, कुएं, नहर, नदियां सूखती और प्रदूषित होती जा रही है. ये जल संकट की ओर इशारा है, इसलिए इस स्थिति में जल्द से जल्द परिवर्तन लाना होगा, जो आपसी सहयोग से ही मुमकिन है.


सबसे पानी खेती में इस्तेमाल होता है और यहां जल संरक्षण के साथ-साथ दुनिया में पानी की बर्बादी रोकथाम और संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे.


खेती में जल संरक्षण के लिए सरकार की पहल


लगातार गिरते भूजल स्तर के कारण पूरी दुनिया पानी की कमी से जूझ रही है. कई इलाकों में भूजल संकट की वजह से फसल सिंचाई के लिए पानी का इंतजाम भी नहीं हो पाता. इस समस्या के समाधान के लिए भूजल के संरक्षण और इसके पुन: प्रयोग पर ध्यान देना होगा. इस काम को इन योजनाओं और अभियानों ने आसान बना दिया है


प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना


देश में 'हर खेत को पानी' लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है. इस योजना का प्रमुख उद्देश्य भूजल के दोहन को कम करते हुए बूंद-बूंद सिंचाई पर फोकस करना. इसके लिए किसानों को पर ड्रॉप मॉर क्रॉप अभियान से भी जोड़ा जा रहा है.


इस अभियान के तहत किसानों को पानी के सही इस्तेमाल के प्रति जागरूक करने और पानी बचाने वाली आधुनिक सिंचाई तकनीकें अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को पानी की कम खपत वाली ड्रिप और फव्वारा सिंचाई तकनीकें अपनाने के लिए सब्सिडी भी दी जाती है. इस योजना के तहत सरकार ने आधिकारिक वेबसाइट pmksy.gov.in भी बनाई है.


अटल भूजल योजना


भूजल का सरंक्षण करके सिर्फ कृषि क्षेत्र की ही नहीं, धरती की आधी से ज्यादा जल चुनौतियों को दूर किया जा सकता है. इसी भूजल के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने अटल भूजल योजना चलाई है.


इस स्कीम के तहत देश में चिन्हित जल संकट वाले 7 क्षेत्रों में स्थाई ग्राउंड वाटर मैनेजमेंट के लिए सामुदायिक भागीदारी पर फोकस करना है. इस स्कीम के तहत जल जीवन मिशन के लिए जल स्रोत तैयार करने, किसानों की आय बढ़ाने और समुदाय में पानी की उपयोगिता के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम किया जाता है.


अटल भूजल योजना का संचालन हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 8353 जल संकट ग्रस्त ग्राम पंचायतों में किया जा रहा है.


नमामि गंगे मिशन


गंगा और इसकी सहायक नदियों की सफाई के उद्देश्य से चलाया गया नमामि गंगे मिशन आज कई कीर्तीमान स्थापित कर रहा है. अब गंगा किनारे खाली पड़े स्थानों पर प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे गंगा नदी में प्रदूषण का स्तर कम करने में मदद मिलेगी. सिंचाई और तमाम संसाधनों की बचत के जरिए किसानों की आय को दोगुना करने का सपना भी साकार हो रहा है.


कैच द रेन


'बारिश के पानी का संरक्षण, जहाँ भी संभव हो, जैसे भी संभव हो' के लक्ष्य के साथ जल शक्ति मंत्रालय ने 'कैच द रेन' अभियान चलाया है. इस स्कीम के तहत बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए जल स्रोतों के निर्माण करवाना शामिल है. इस अभियान के तहत कई ग्राम पंचायतों में जल संरक्षण के लिए कुएं, तालाब और जल स्रोतों का निर्माण करवाया जा चुका है.  इस कांसेप्ट से भूजल के स्तर में सुधार देखा गया है.


फसल विविधिकरण


एक ही कृषि क्षेत्र में विभिन्न फसलें उगाकर भी जल संरक्षण का काम किया जा सकता है. जी हां, इन दिनों कई राज्य सरकारें फसल विविधिकरण अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं. फसल विविधिकरण के जरिए एक ही खेत में कम पानी और कम संसाधन की खपत में अलग-अलग फसलों का उत्पादन ले सकते हैं. ये किसानों की आय बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो रही है.


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