Kewda Business Idea: फूलों की दुकान खोलो...खुशबू का व्यापार करो....कविता कुछ लाइनों से आप केवड़ा का बिजनेस करने की प्रेरणा ले सकते हैं, क्योंकि केवड़ा की खेती बेहद कम जगहों पर की जाती है, लेकिन पूरी दुनिया में इसकी डिमांड रहती है. इससे ही ज्यादातर फ्यूम, सेंट, इत्र और तमाम ब्यूटी प्रोडक्ट्स और यहां तक कि मिठाई और फूड प्रोडक्ट्स में भी केवड़ा का इस्तेमाल किया जाता है. केवड़ा के फूल की गिनती दुनिया के सबसे खुशबूदार फूलों में होती है. आज कल खुशबू के लिए कैमिकल बेस्ड एसेंस का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन केवड़ा को खुशबू का नेचुरल सोर्स है, जिसकी वजह से भी इसकी ज्यादा मांग है.


केवड़ा की खेती उड़ीसा में बड़े पैमाने पर की जाती है. वैसे तो ये फूल समुद्र किनारे वाले इलाकों, नदी, तालाब और दूसरे जल स्रोतों के किनारे ही उगता है, लेकिन देश के मैदानी इलाकों में भी कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं. किसान अगर कम समय में अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो केवड़ा की खेती के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग करके केवड़ा तेल और केवड़ा जल का भी प्रोडक्शन ले सकते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.....


क्यों फेमस है केवड़ा
केवड़ा सिर्फ एक फसल या फूल नहीं है, बल्कि ये एक आयुर्वेदिक औषधी भी है. घने जंगलों में उगने वाले इस फूल को फूलों का राजा भी कहते हैं. कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लेकर फेंफड़ों की जलन, यूरिन डिजीज, हार्ट डिजीज, कान के रोग, खून के रोग, सिर दर्द, त्वचा रोग और और पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए केवड़ा वरदान है. तभी तो केवड़ा से केवड़ा जल बनाकर मिठाई, सिरप, शरबत और कोल्ड ड्रिंक्स में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसकी मनमोहक सुगंध से मन और शरीर को रिलेक्स मिलता है.


ये तनाव और दूसरे मानसिक रोगों में भी काफी हद तक राहत प्रदान करता है. केवड़ा की कमर्शियल फार्मिंग करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जहां इसका फूल की प्रोसेसिंग करके तेल, अर्क और जल बनाया जाता है तो वहीं इसकी पत्तियां झोपड़ियों को ढ़कने, चटाई तैयार करने, टोप, टोकनियों और कागज बनाने के काम के काम आती है. इसकी लंबी जड़ों के रेशे का इस्तेमाल भी रस्सी और टोकरियां बनाने के लिए किया जाता है. 


कम मेहनत में मिल जाएगा मुनाफा
एक्सपर्ट्स की मानें तो केवड़ा की खेती में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, लेकिन कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं. ऐसी मान्यता है कि केवड़ा की झाड़ में सांप अपना घर बना लेते हैं, इसलिए कतारों में पौधे लगाकर निगरानी करते रहने की आवश्यकता होती है. केवड़ा के पतले, लंबे, घने और कांटेदार पत्तों वाले पेड़ की दो प्रजातियां होती हैं, एक पीला और दूसरा सफेद. पीली किस्म को केवड़ा कहते हैं, जबकि सफेद को केतकी के नाम से जानते हैं.


केतकी में ज्यादा खुशबू होती है. इसके कोमल पत्तों का इस्तेमाल भी औषधी के तौर पर किया जाता है. केवड़ा के बीज-पौधों की बुवाई रोपाई करने के बाद जनवरी-फरवरी तक फूल आना चालू हो जाते हैं. केवड़ा की फसल में खरपतवार नहीं उगते, जिससे निराई-गुड़ाई की मेहनत बच जाती है. अगर आपके इलाके में अच्छी बारिश होती है तो सिंचाई की लागत भी बचा सकते हैं.


यही वजह है कि जल स्रोतों के आस-पास ही केवड़ा की खेती करने की सलाह दी जाती है. इन दिनों नमामि गंगे मिशन के तहत गंगा किनारे पड़ी खाली जगहों पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस अवसर का लाभ लेकर केवड़ा की खेती चालू कर सकते हैं.


कहां होती है केवड़ा की खेती
भारत में उड़ीसा के गंजम जिले को केवड़ा का सबसे बड़ा उत्पादन मानते हैं. यहां ज्यादातर नदी, नहर खेत और तालाबों के आस-पास केवड़ा-केतकी की खेती की जाती है. आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और अंडमान द्वीप पर भी केवड़ा-केतकी की खेती होती है. दक्षिण पूर्वी भारत से लेकर ताईवान, दक्षिणी जापान और दक्षिणी इंडोनेशिया तक केवड़ा उगया जाता है.


इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी और दोमट मिट्टी ही सबसे उपयुक्त रहती है, लेकिन मिट्टी की जांच के आधार पर रेतीली, बंजर और दलदली मिट्टी में भी केवड़ा-केतकी का क्वालिटी उत्पादन ले सकते हैं. अगर जल निकासी की अच्छी व्यवस्था है तो इसका व्यापार खूब फल-फूल सकता है. हाल ही में जारी रिपोर्ट्स से पता चला है कि केवड़ा के तेल की कीमत करीब 4 लाख से 5 लाख रुपये और परफ्यूम की प्रति लीटर कीमत करीब 30,000 से 40,000 रुपये है.


अच्छी बात ये है कि अरोमा मिशन के तहत केवड़ा जैसी खुशबूदार-औषधीय फसलों की खेती के लिए सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता दी जाती है. साथ में इसका प्रोसेसिंग बिजनेस लगाने के लिए भी एग्री बिजनेस स्कीम के तहत अनुदान दिया जाता है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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