Safal Kisan: किसानों ने मिलकर गांव को बना दिया Banana Hub, फार्म पर खोली प्रोसेसिंग यूनिट...अब हो रही लाखों की कमाई!
Banana Cultivation: युवा किसान अभिषेक आनंद वैज्ञानिक पद्धति से केला की खेती करके युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं. अपने किसान साथियों के साथ मिलकर सीतामढ़ी का मेजरगंज केले के हब के तौर पर पहचान दिलाई है
Agri Business: पहले किसान अपनी आजीविका के लिए सिर्फ खेती-किसानी तक ही सीमित थे, लेकिन अब अन्नदाताओं की आय को दोगुना करने के लिए उन्हें एग्री बिजनेस से जोड़ा जा रहा है. कृषि व्यवसाय से किसानों को अपनी फसल के बेहतर दाम पाने में मदद मिल रही है. जैसे-जैसे एग्री बिजनेस का विस्तार हो रहा है, गांव में भी रोजगार के अवसर खुलते जा रहे हैं. इससे किसानों की आर्थिक क्षमता को बेहतर हुई है. साथ ही ग्रामीण लोगों की आजीविका में भी सुधार नजर आ रहा है. देश के अलग-अलग इलाकों में अब किसान खेती के साथ-साथ एग्री बिजनेस मॉडल अपना रहे हैं. इन्हीं किसानों को शामिल हैं बिहार के अभिषेक आनंद, जिन्होंने अपने गांव के दूसरे किसानों को साथ जोड़कर केला की वैज्ञानिक खेती की. अच्छी आय के लिए फार्म पर ही प्रोसेसिंग यूनिट लगाई और आज केला चिप्स के एग्री बिजनेस के लिए अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं. इन्होंने अपने प्रोडक्ट की अच्छी ब्रांडिंग भी करवाई है, जिससे मार्केटिंग में काफी सहयोग मिल रहा है. आज अभिषेक आनंद के फार्म पर उगने वाले केले से बने चिप्स पूरे भारत में मशहूर हो रहे हैं.
केला की वैज्ञानिक खेती से बढ़ी उत्पादकता
अभिषेक आनंद ने कुछ समय पहले ही टिशू कल्चर तकनीक से केला की जी-9 किस्म की बागवानी शुरू की थी. बेहतर अवसरों की खोज में केला चिप्स बनाने की प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई. अपने इन प्रयासों को लेकर अभिषेक आनंद बताते हैं कि केला का बेहतर उत्पादन देने वाली तकनीकों की जानकारी के लिए उन्होंने अपने जिले सीतामणी स्थित उद्यान विभाग के कार्यालय में संपर्क किया. यहां अभिषेक आनंद को सरकार की ओर से चलाई जा रही तमाम योजनाओं की जानकारी ली. बता दें कि अभिषेक आनंद खुद भी कृषि स्नातक हैं, इसलिए केला की बागवानी से जुड़ने में ज्यादा मुश्किलें नहीं आई.
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— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) March 27, 2023
अभिषेक आनंद वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर बने युवाओं के लिए मिसाल , सीतामढ़ी का मेजरगंज केले के हब के रूप में हुआ विकसित l@Agribih@saravanakr_n@KumarSarvjeet6@HorticultureBih@dist_sitamarhi#BiharAgricultureDepthttps://t.co/7CukuxB72D
कोरोना महामारी में चालू की बागवानी
अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद अभिषेक आनंद अपने गांव सीतामणी के मेजरगंज चले आए. अभिषेक के पास समय तो काफी था, लेकिन ये नहीं समझ पा रहे थे कि खेती के ज्ञान का सही इस्तेमाल कहां किया जाए. ये कोरोना महामारी का दौर था.
सिर्फ कृषि क्षेत्र ही सबसे ज्यादा एक्टिव था, इसलिए केला की बागवानी करने का मन बनाया. जब कृषि विभाग के कार्यालय मदद के लिए पहुंचे तो केला की आधुनिक खेती की तकनीकों की जानकारी मिली. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में आवेदन करने पर ड्रिप सिंचाई के लिए 90 प्रतिशत अनुदान मिल गया.
वहीं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत आवेदन करने पर केला की बागवानी करने के लिए जी-9 किस्त केला की पौध सामग्री भी मिल गई. इसी के साथ कृषि निदेशालय, विहार सरकार की ओर से फल की तुड़ाई और इसके प्रबंधन के लिए 90 प्रतिशत अनुदान पर प्लास्टिक कैरेट का भी लाभ मिल गया.
नेपाल-ढ़ाका तक जा रहा केला
युवा किसान अभिषेक आनंद के प्रसायों का नतीजा ये हुआ कि बिहार के सीतामढ़ी के अलावा अब नेपाल और ढ़ाका तक केला की जी-9 किस्म की मांग बढ़ गई है. आज अभिषेक आनंद केला की बागवानी के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग भी कर रहे हैं. केला चिप्स की प्रोसेसिंग यूनिट के लिए अभिषेक आनंद को बिहार सरकार की ओर से 25% अनुदान के साथ 11 लाख रुपये का लोन मिल गया.
अभिषेक आनंद बताते हैं कि आज उनके साथ लोकल लेवल पर 8-10 किसान जुड़े हुए हैं, जिसमें 5 युवा किसान हैं. ये सभी मिलकर 7 एकड़ जमीन पर केला की वैज्ञानिक तकनीक से बागवानी करके बेहतर इनकम ले रहे हैं.
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