मंगलवार को हनुमान जी की पूजा का बन रहा है विशेष संयोग, हनुमान जी को ऐसे करें प्रसन्न
Hanuman Chalisa: 12 अक्टूबर को मंगलवार का दिन है. इस दिन को हनुमान जी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है. नवरात्रि में हनुमान जी की पूजा का विशेष संयोग बना है.
Hanuman Chalisa: हनुमान जी की पूजा व्यक्ति के संकटों को दूर करने वाली मानी गई है. शास्त्रों के अनुसार मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. इस दिन पूजा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पंचांग के अनुसार 12 अक्टूबर 2021, मंगलवार को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है. नवरात्रि के इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. नवरात्रि में सप्तमी की तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन मां कालरात्रि और हनुमान जी की पूजा का विशेष संयोग बन रहा है.
हनुमान पूजा
मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. इसके साथ ही सुंदरकांड का पाठ भी विशेष फलदायी माना गया है. हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा प्रदान करते हैं. हनुमान चालीसा का पाठ जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में सहायक माना गया है.
इन बातों का ध्यान रखें
हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. हनुमान चालीसा का पाठ स्नान करने के बाद ही आरंभ करना चाहिए. हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख बैठकर ही हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. पाठ का समापन करने के बाद प्रसाद का वितरण करना चाहिए.
हनुमान चालीसा
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥
हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥
विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥1
लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद, सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसा रे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप॥