हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनिदेव की दशा जरूर आती है. हर तीस साल पर शनि विभिन्न राशियों में भ्रमण करते हुए फिर से उसी राशि में लौटकर आ जाते हैं जहां से वह चले होते हैं.


जब शनिदेव व्यक्ति की राशि से एक राशि पीछे आते हैं तब साढ़ेसाती शुरू हो जाती है. इस समय शनि पिछले तीस साल में किए गए कर्मों एवं पूर्व जन्म के संचित कर्मों का फल देता है.

जिनकी कुण्डली में शनि प्रतिकूल स्थिति में होते हैं उन्हें साढ़ेसाती एवं शनि की ढैय्या के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ता है. शनिदेव के प्रभाव के कारण इन्हें शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक समस्याओं से गुजरना होता है. ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि शनि के प्रतिकूल प्रभाव को दूर किया जाए तो शनिदेव दशा के दौरान मिलने वाली परेशानियों में कमी आती है.

शनिदेव को शांत करने के आसान उपाय
-शनिदेव को नीले फूल और आक के फूल बहुत प्रिय है. शनिवार को आक के फूल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. इस फूल से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं.
-शनिवार के दिन साबुत उड़द को दान करने से भी शनि की अशुभता दूर करने में मदद मिलती है.
-शनिवार के दिन सरसों के तेल का दान करने से भी शनिदेव खुश होते हैं.
-भगवान शंकर पर काले तिल और कच्चा दूध प्रतिदिन चढ़ाना चाहिए. शिवलिंग पीपल वृक्ष के नीचे हो तो अति उत्तम है.
-सुंदरकांड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है. काले उड़द जल में प्रवाहित करें और गरीबों को दान भी करें.
-प्रत्‍येक मंगलवार और शनिवार को भैरव साधना और मंत्र-जप करें.
-मां भगवती काली की आराधना करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं.
-घर में संध्या के समय गुगल की धूप दें.
-मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें और पीपल के पेड़ पर दीपक जलाएं.


शनि मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नम:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: