Vidur Niti, Mahabharat: महात्मा विदुर ने अपनी पुस्तक विदुर नीति (Vidur Niti) में लोगों के सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए कई तरह के उपाय बताए हैं. महात्मा विदुर एक दासी पुत्र थे लेकिन उन पर भगवान की असीम कृपा थी. उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी. अच्छे बुरे का ज्ञान था. महाभारत काल में उन्हें नीति कुशल माना जाता था. उन्होंने अपने जीवन के अनुभव को अपनी एक पुस्तक में लिखा है जिसे विदुर नीति (Vidur Niti) के नाम से जाना जाता है. विदुर नीति(Vidur Niti) में यह बताया गया है कि लोगों को अपनी आर्थिक उन्नति के लिए क्या करना चाहिए. किन लोगों को पैसा देना चाहिए. किस तरह के लोगों से संबंध रखना चाहिए.


विदुर नीति (Vidur Niti) के अनुसार इन 4 लोगों को धन नहीं देना चाहिए स्त्री


महात्मा विदुर अपनी विदुर नीति (Vidur Niti) में यह बताते हैं कि स्त्रियों को अनावश्यक रूप से धन नहीं देना चाहिए. क्योंकि इससे उनमें खर्चे की प्रवृत्ति बढ़ती है. आपका धन अनावश्यक रूप से व्यय होता है. स्त्रियों को जिस सामान की आवश्यकता हो वह सामान खरीद कर उन्हें दे दिया जाए. उनके पास जरूरत से ज्यादा पैसा रखना हितकर नहीं होता है.


आलसी व्यक्ति


विदुर नीति (Vidur Niti) के अनुसार आलसी व्यक्तियों को भी धन नहीं देना चाहिए. क्योंकि ऐसे लोग आपके धन का सदुपयोग नहीं कर पाते हैं. वह अनावश्यक रूप से खर्च हो जाता है. जिसका कोई सार्थक लाभ नहीं प्राप्त होता इसलिए आलसी को धन नहीं देना चाहिए.


व्यसनी व्यक्ति


ऐसा व्यक्ति जो किसी प्रकार का नशा करता हो या गलत कामों में लिप्त हो, विदुर नीति(Vidur Niti) के अनुसार   ऐसे लोगों को धन नहीं देना चाहिए. क्योंकि वह आपका पैसा गलत कामों में खर्च कर देंगे. आप को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.


अधर्मी व्यक्ति


जो व्यक्ति धर्म से भटक चुका होता है वह किसी के द्वारा दिए गए धन का सदुपयोग नहीं कर पाता है. धन को अनावश्यक रूप से खर्च कर देता है. अधर्मी व्यक्ति पैसे को नीच कार्य में खर्च कर देता है. इन लोगों को दिया हुआ पैसा नाले में फेंकने के समान है.



 


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