Adhik Maas Date: 18 जुलाई यानी आज से सावन महीने का अधिक मास शुरू हो गया है. ये महीना 16 अगस्त तक रहेगा, इसके बाद सावन का कृष्ण पक्ष शुरू हो जाएगा. अधिकमास को मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है.  इस माह में कई तरह के धार्मिक कार्य किए जाने का महत्व है. आइए जानते हैं कि अधिक मास क्या होता है और इसकी गणना कैसे होती है.


क्या होता है अधिक मास


जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, अधिक मास का मतलब है वह माह जो नियमित माह के अतिरिक्त है. ये हर तीन साल में एक बार आता है. भारतीय पंचांग चंद्र मास पर आधारित होता है. जिस संवत् में अधिक मास होता है, वह साल 13 महीनों का होता है. जब चंद्र 12 राशियों का एक पूरा चक्कर लगा लेता है, तब एक चंद्र माह होता है. 


एक चंद्रवर्ष लगभग 354 दिन का होता है जबकि अंग्रेजी वर्ष 365.25 दिन का होता है. इस प्रकार एक वर्ष में लगभग 11 दिन का और 3 वर्षों में एक मास का अंतर आ जाता है. इस अंतर को समाप्त करने के लिए प्रत्येक तीन वर्षों में एक मास बढ़ा दिया जाता जिसे अधिक मास कहते हैं.



कैसे तय होता है अधिक मास का महीना


ज्योतिष ग्रंथों में अधिक मास की गणना करने का तरीका बताया गया है. ज्योतिषीय गणना के मुताबिक हर 32 महीने और 15 दिन बाद अधिक मास आता है. अधिक मास हमेशा अमावस्या के बाद ही शुरू होता है. 32 महीने और 15 दिन के बाद जिस भी महीने की अमावस्या होगी, उसी महीने का अधिक मास भी होगा.


17 जुलाई को सावन मास की अमावस्या थी. इसलिए इस साल 18 जुलाई से अधिक मास शुरू हो रहा है.  एक चंद्र वर्ष 354 दिन और सौर वर्ष 365 दिन का होता है. इन दोनों के अंतर को खत्म करने लिए ज्योतिष  शास्त्र में अधिक मास की व्यवस्था की गई है. हमारे सारे तीज-त्योहार ऋतुओं के आधार पर मनाए जाते हैं. अधिक मास की व्यवस्था से हिंदु पंचाग के त्योहार और ऋतुओं के बीच का तालमेल बना रहता है.


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