Moti Astrological Importance: क्यों पहनते हैं मोती रत्न? जानिए धारण करने का तरीका, लाभ और नुकसान
Benefits Of Moti Ratna : रत्नों में लोग सबसे ज्यादा मोती रत्न को पहनते हैं. मोती जहां सुंदरता में चार-चांद लगाता है, वहीं भाग्य को भी तेज करता है. इसलिए इसे धारण करते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखें.
Moti Astrological Importance: आपने कई बार मोती के बारे में सुना या पढ़ा होगा. पर आज हम आपको इसके बारे में विस्तृत रूप से बताते हैं. मोती सिर्फ रत्न नहीं बल्कि एक जैविक संरचना है. इसे नवरत्नों की श्रेणी में रखा गया है. इसे मुख्य रूप से चंद्रमा का रत्न माना गया है. मोती रत्न (Pearl gemstone)का उपयोग कभी-कभी विशेष रूप से औषधि के रूप में भी किया जाता है. यह चंद्रमा की तरह ही शांत, सुंदर और शीतल होता है. इसका सीधा प्रभाव मन और शरीर के रसायनों पर पड़ता है. महत्वपूर्ण बात यह है कि मोती का प्रभाव कभी तेज नहीं होता. यह धीरे-धीरे और सूक्ष्म असर डालता है. इसलिए नुकसान के मामले में हमें यह प्रतीत होता है कि मोती कभी नुकसान नहीं पहुंचाता, जबकि मोती धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है. आइए जानते हैं एस्ट्रोलॉजर कल्पेश शाह से मोती धारण करने को लेकर क्या कहते हैं?
विशेषज्ञ की सलाह पर पहनें (Expert advice)
कई बार हम शौकिया मोती पहन लेते हैं, लेकिन ज्योतिष विज्ञान के हिसाब से यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है. दरअसल, ज्योतिष मोती का संबंध चंद्रमा और शुक्र से है. ये दोनों ही शरीर के जल तत्व और कफ को नियंत्रित करते हैं. इनके प्रयोग से मन मजबूत और दिमाग तेज होता है. अगर हम बिना किसी ज्योतिष विज्ञान की जानकारी या किसी विशेषज्ञ की सलाह के पहनते हैं, तो इसके कई नुकसान हो सकते हैं.
कैसे धारण करें मोती रत्न (How to wear pearl)
मोती खरीदने के सबसे शुभ दिन सोमवार होता है, इसे हमेशा सोमवार को ही खरीदना चाहिए. इसे चांदी में बनवाकर कनिष्ठिका या फिर अनामिका उंगली में पहना जाता है. इसके अलावा मोती धारण करने से पहले शुभ मुहूर्त अवश्य जान लें. मोती की प्राण प्रतिष्ठा करने किसी भी पुष्य नक्षत्र, सोमपुष्य या सोमवार को आये अमृत सिद्ध योग में की जा सकती है. इनमें से किसी भी समय चंद्रमा के मंत्रों के उच्चारण के साथ मोती की प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है. साथ ही इसे धारण करने से पूर्व दूध,दही, शहद, घी और तुलसी पत्ते आदि से पंचामृत स्नान कराने के बाद गंगाजल साफ करके धूप-दीप व कुमकुम से पूजन करके,मंत्र को 108 बार जपने के बाद ही धारण करना चाहिए. क्योंकि किसी भी रत्न का सकारात्मक प्रभाव तभी तक रहता है, जब तक कि उसकी शुद्धता बनी रहती है.
मोती रत्न धारण करने के लाभ (Benefits of wearing pearl)
मोती, समुद्र में सीपियों से प्राप्त होने वाला, मन को शांत और तनाव कम करने वाला अद्भुत रत्न है, जो बड़ी ही दुर्लभता से मिलता है. बनावट से शुद्ध मोती बिल्कुल गोल व रंग में दूध के समान सफ़ेद होता है. यह नींद को दुरुस्त करता है , डर दूर करता है, हार्मोन को संतुलित करता है और कभी-कभी आर्थिक पक्ष को भी बहुत अच्छा कर देता है. मोती रत्न का स्वामी ग्रह चंद्रमा है एवं कर्क राशि के जातकों के लिए यह सबसे ज्यादा लाभकारी माना जाता है. कुंडली में चन्द्र ग्रह से सम्बंधित सभी दोषों में मोती को धारण करना लाभप्रद होता है. चंद्रमा का प्रभाव एक जातक के मस्तिष्क पर सबसे अधिक होता है इसलिए अगर आप अपने मन को शांत रखना चाहते हैं, तो मोती का धारण अवश्य करें, लेकिन ज्योतिष विशेषज्ञों से सलाह मशवरा करके.
मोती रत्न धारण करने के नुकसान (Disadvantages of wearing pearl gemstone)
मोती धारण करने के कई फायदें हैं, लेकिन यह विपरीत परिणाम भी दे सकता है. अगर आप इमोशनल हैं या आपको गुस्सा ज्यादा आता है तो आपको मोती नहीं पहनना चाहिए. यह आपकी भावनाओं को और भी उत्तेजित कर सकता है. इसके अलावा आपका चंद्र 12वें या 10वें घर में विराजमान है, तो भी आप पर मोती का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. वृषभ, मिथुन, कन्या, मकर और कुम्भ लग्न में जन्म लेने वाले जातकों के लिए भी मोती नुकसानदेह साबित हो सकता है. इसके अलावा शुक्र, बुध, शनि की राशियों वालों को भी मोती धारण नहीं करना चाहिए, यह आपको परेशानी में डाल सकता है.
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