Akshaya Tritiya 2023: अक्षय तृतीया कब? इसे क्यों माना जाता है इतना शुभ? जानें इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता
Akshaya Tritiya Katha: अक्षय तृतीया का दिन इतना शुभ होता है कि इस दिन जो भी काम करो उसमें सफलता ही मिलती है. इस दिन किये गए जप, तप और दान से श्रेष्ठ फल मिलता है.
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Akshaya Tritiya: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, अक्षय तृतीया कहलाती है. अक्षय का अर्थ होता है, जो कभी खत्म ना हो. माना जाता है कि अक्षय तृतीया वह तिथि है जिसमें सौभाग्य और शुभ फल का कभी क्षय नहीं होता. इस दिन होने वाले कार्य का ऐसा शुभ फल मिलता है जो कभी खत्म नहीं होता है. माना जाता है कि इस दिन मनुष्य जीतने भी पुण्य कर्म और दान करता है उसका शुभ फल उसे दोगुना मात्रा में मिलता है. इस शुभ फल का प्रभाव कभी खत्म नहीं होता है.
अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है. अक्षय तृतीया के दिन कोई भी नया या मांगलिक कार्य करना बहुत शुभ माना गया है. माना जाता है कि अक्षय तृतीया का दिन इतना शुभ होता है कि इस दिन जिस भी काम को शुरु करो उसमें सफलता ही मिलती है. इस दिन किये गए जप, तप और दान से श्रेष्ठ फल मिलता है. इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 22 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाएगा.
अक्षय तृतीया को माना जाता है बेहद शुभ
अक्षय तृतीया का दिन माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है. इस दिन दान-पुण्य, स्नान, यज्ञ, जप से मिलने वाले शुभ फलों में कभी कमी नहीं होती है.आज के दिन पूजा-पाठ करने से माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और सुख-समृद्धि और वैभव आजीवन बना रहता है. इस पर्व को बहुत पवित्र और महान फल देने वाला बताया गया है. इस दिन गंगा स्नान करने का भी बड़ा भारी महत्व बताया गया है. माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है.
अक्षय तृतीया की पौराणिक मान्यता
पुराणों के अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण भगवान से अक्षय तृतीया का महत्व जानने के लिए इच्छा जाहिर की. तब भगवान श्री कृष्ण ने कि यह परम पुण्यमयी तिथि है. इस दिन स्नान, जप, तप, यज्ञ, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण और दान करने वाला व्यक्ति अक्षय पुण्यफल का भागी होता है.
प्राचीन काल में एक गरीब और वैश्य रहता था. देवताओं में उसकी बहुत श्रद्धा थी. वह अपनी गरीबी से बहुत परेशान था. एक दिन किसी ने उसे अक्षय तृतीया का व्रत को करने की सलाह दी. उसने इस दिन गंगा में स्नान कर विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की और दान दिया. माना जाता है कि यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना. अक्षय तृतीया को पूजा व दान के प्रभाव से वह बहुत धनी और प्रतापी बना.
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