Akshaya Tritiya: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है. अक्षय का अर्थ होता है, जो कभी खत्म ना हो.  अक्षय तृतीया, हिन्दू धर्म के सबसे शुभ त्योहारों में से एक है. इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. 


अक्षय तृतीया को क्यों माना जाता है शुभ



अक्षय तृतीया का दिन मां लक्ष्मी का दिन माना जाता है. इसलिए इस दिन को इतना शुभ माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन सौभाग्य और शुभ फल का कभी क्षय नहीं होता है. इसे अखा तीज भी कहा जाता है.


इस दिन होने वाले कार्य का ऐसे शुभ फल देते हैं जो कभी खत्म नहीं होता है. माना जाता है कि इस दिन मनुष्य जीतने भी पुण्य कर्म और दान करता है उसका शुभ फल उसे दोगुना मात्रा में मिलता है. इस शुभ फल का प्रभाव कभी खत्म नहीं होता है.


जप-तप, दान से मिलता है श्रेष्ठ फल 


अक्षय तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त होता है. इस दिन किसी भी नए या मांगलिक कार्य को बहुत शुभ माना गया है. माना जाता है कि अक्षय तृतीया का दिन इतना शुभ होता है कि इस दिन जिस भी काम को शुरु करो उसमें सफलता ही मिलती है. इस दिन किये गए जप, तप और दान से श्रेष्ठ फल मिलता है. 


पुराणों के अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण भगवान से अक्षय तृतीया का महत्व जानने के लिए इच्छा जाहिर की. तब भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि यह परम पुण्यमयी तिथि है. इस दिन स्नान, जप,तप,यज्ञ,स्वाध्याय, पितृ-तर्पण और दान करने वाला व्यक्ति अक्षय पुण्यफल का भागी होता है.


अक्षय तृतीया की पौराणिक मान्यता


प्राचीन काल में एक गरीब और वैश्य रहता था. देवताओं में उसकी बहुत श्रद्धा थी. वह अपनी गरीबी से बहुत परेशान था. एक दिन किसी ने उसे अक्षय तृतीया का व्रत को करने की सलाह दी. उसने इस दिन गंगा में स्नान कर विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की और दान दिया. 


माना जाता है कि यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना. अक्षय तृतीया के दिन की गई पूजा और दान के प्रभाव से वह बहुत धनी और प्रतापी बना. इस दिन पूजा-पाठ करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और सुख-समृद्धि और वैभव आजीवन बना रहता है.



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