Ekadashi In March 2021: आमलकी एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व है. एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. एकादशी व्रत की महिमा का वर्णन महाभारत में मिलता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्टिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के महामात्य के बारे में बताया था. श्रीकृष्ण के कहने पर ही युधिष्टिर ने एकादशी का व्रत विधि पूवर्क पूर्ण किया था. आमलकी एकादशी और रंगभरनी एकादशी भी कहा जाता है.


सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है
एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत माना गया है. एकादशी का व्रत मोक्षदायी भी माना गया है. एकादशी का व्रत एक माह में दो बार आता है. कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में पड़नी वाली एकादशी तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है. एकादशी का व्रत सभी व्रतों में कठिन माना गया है.


आमलकी एकादशी का महत्व
आमलकी एकादशी 25 मार्च को है. ये एकादशी फाल्गुन मास की अंतिम एकादशी है. 28 मार्च को शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर फाल्गुन मास समाप्त हो रहा है. इसके बाद चैत्र मास का आरंभ होगा. चैत्र मास से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है. आमलकी एकादशी जीवन में आंवला के महत्व को बताता है. आंवला को आदि वृक्ष भी कहा गया है. शास्त्रों के अनुसार आंवला के वृक्ष में भगवान विष्णु निवास करते हैं.


घर में आंवला का पौधा लगाएं
आमलकी एकादशी पर मंदिर के समीप या घर में आंवला का पौधा लगाने से विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है. घर में यदि आंवला का पौधा लगाना है तो दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार आंवले का पौधा घर में उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना गया है. आंवला को घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है. परिवार के सभी सदस्यों में प्रेम बना रहता है. धन आदि की समस्या भी दूर होती है.


आमलकी एकादशी तिथि का मुहूर्त
आमलकी एकादशी तिथि आरंभ: 24 मार्च को प्रात: 10 बजकर 23 मिनट से.
आमलकी एकादशी तिथि समापन: 25 मार्च प्रात: 09 बजकर 47 मिनट तक.
आमलकी एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: 26 मार्च प्रात: 06:18 बजे से 08:21 बजे तक


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