Lord Shiva: बाबा अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2023) बीते एक जुलाई से शुरू हो चुकी है. तीर्थ यात्रियों की पहली खेप पहले ही बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए रवाना हो चुकी है. अमरनाथ दर्शन किसी भी भक्त के लिए सपने से कम नहीं होता. हर कोई अपनी जिन्दगी में यहां एक बार ज़रूर जाना चाहता है. आपको बताते चलें कि यहां भगवान शिव का शिवलिंग बर्फ के रूप में स्थापित है. अमरनाथ की यात्रा काफी कठिन यात्राओं में गिनी जाती है. यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है. अमरनाथ गुफा से जुड़े कुछ रहस्य काफी प्रचलित हैं. आइए इनके बारे में जानतें हैं-


अमरनाथ की कहानी
मान्यता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से उनकी अमरता का रहस्य पूछते हुए उसका कारण जानना चाहा, शिव जी ने उनकी बात मानकर उन्हें अमर कथा सुनाना शुरू किया. कथा शुरू करने से पहले शिव जी ने अपने शरीर से हर चीज को उतारना, त्यागना शुरू किया. 



सबसे पहले उन्होंने नंदी का त्याग किया, जिस स्थान पर उन्होंने नंदी का त्याग किया उस स्थान का नाम पड़ा पहलगांव. फिर उन्होंने चंद्रमा का त्याग किया और उस जगह का नाम पड़ा चंदनवाड़ी. उसके बाद उन्होंने अपने गले में लिपटे सांप का त्याग किया और उस जगह को शेषनाग कहकर बुलाया गया. आखिर में उन्होंने अपनी जटाओं से मां गंगा को मुक्त किया और उस जगह का नाम पंचतरणी नाम दिया गया. बताया जाता है शिव जी ने अपने पुत्र गणेश जी को महागुण पर्वत पर रखा और उन्हें जिम्मेदारी दी गई कि कोई भी इस कथा के बीच में गुफा में प्रवेश न कर सके. आज भी अमरनाथ यात्रा के दौरान इन स्थानों के दर्शन होते हैं. 


अमरनाथ यात्रा का महत्व 
अमरनाथ यात्रा में शिवलिंग का निर्माण गुफा की छत से टपकती बुंदों से होता है. मान्यता है कि अमरनाथ जी के दर्शन करने से हजारों पुण्य की प्राप्ति होती है. कहते हैं ये शिवलिंग चंद्रमा की रौशनी से घटता और बढ़ता है. चूंकि ये शिवलिंग बर्फ से बना है इसलिए इन्हें बाबा बर्फानी भी कहते हैं. साल 2023 की अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगी.. 


ये भी पढ़ें - Kanwar Yatra 2023: चल कांवरिया शिव के धाम, सावन के साथ ही शुरू हुई कांवड़ यात्रा, जानें क्या हैं जरूरी नियम