Mohini Ekadashi Vrat: मोहिनी एकादशी का सभी एकादशी में विशेष माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया था और देवताओं को अमृत पान कराया था. जिसे पीकर देवता अमर हुए थे.


समुद्र मंथन की कथा: 
समुद्र मंथन देवता और असुरों के बीच हुआ था. दैत्यराज बलि ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया, तब देवताओं को अपने ऊपर संकट दिखाई देने लगा. सभी देवताओं ने मिलकर भगवान विष्णु से मदद की गुहार लगाई. भगवान विष्णु ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए देवताओं को असुरों को समुद्र मंथन के लिए राजी करने की सलाह दी. देवताओं की कोशिश रंग लाई और देवता समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए.


वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि को समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला. जिसे प्राप्त करने के लिए एक बार फिर देवताओं और असुरों में विवाद की स्थिति पैदा हो गई. देवताओं को डर था कि यदि अमृत दैत्यों ने पी लिया तो, ये अमर और अत्यंत शक्तिशाली हो जाएंगे. इस स्थिति से बचने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु की मदद ली. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया और राक्षसों से अमृत को बचाते हुए देवताओं को इसे पिला दिया, इससे देवता अमर हो गए. जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया उस दिन एकादशी की तिथि थी, इसीलिए वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है.


मोहिनी एकादशी व्रत
पंचांग के अनुसार 23 मई 2021 रविवार को वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है. शास्त्र और पौराणिक ग्रंथों में इस एकादशी की तिथि को मोहिनी एकादशी कहा गया है. मोहिनी एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व है.


मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ:  22 मई 2021 को 09 : 15 ए एम बजे से.
एकादशी तिथि समाप्त: 23 मई 2021 को 06 : 42 ए एम बजे तक. 


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