Anant Radhika Wedding: अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट का विवाह जिस घड़ी में हो होने जा रहा है, उस समय आसमान में ग्रहों की स्थिति क्या रहेगी? हिंदू घर्म में विवाह को 16 संस्कारों में से एक माना गया है.


इसीलिए विवाह के समय शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है. अंबानी परिवार बेहद धार्मिक है. यही कारण है कि विवाह के लिए जिस तिथि का चयन किया है वो अत्यंत विशेष है.  


अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के विवाह में निर्धारित लग्न मुहूर्त कितना खास


अनंत तथा राधिका मर्चेंट के विवाह का मुहूर्त भारतीय ज्योतिष के अनुसार दिनांक 12 जुलाई 2024 को रात के समय सिंह लग्न निर्धारित किया गया है. वैदिक ज्योतिष के सूत्रों के आधार पर जिस लग्न में विवाह संपन्न होगा, उसके कितने शुभ परिणाम वर-वधु को मिलेंगे जानते हैं-


शाम 8:12 बजे से 10:32 के बीच सिंह लग्न का समय रहेगा. उसमें ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी- 


द्वितीय भाव में चंद्र केतु, सप्तम भाव में शनि, अष्टम भाव में राहु, नवम भाव में मंगल, दशम भाव में बृहस्पति, एकादश भाव में सूर्य तथा द्वादश भाव में शुक्र और बुध होंगे.


ज्योतिष सूत्रों के अनुसार कोई भी कार्य संपन्न करने के लिए मांस तिथि नक्षत्र योग आदि की शुद्धि के पश्चात विवाह लग्न की शुद्धि को प्रधानता दी गई है. 


शास्त्र क्या कहते हैं?


तिथि: शरीरं मन इंदुवीर्यं, विलग्नमात्माअवयवास्तु भाद्या:.- ज्योतिर्निबन्ध.


अर्थ - तिथि को शरीर चंद्रमा को मां योग नक्षत्र आदि को शरीर के अंग तथा लगन को आत्मा माना गया है.


इन सब बिन्दुओं को ध्यान में रखकर किसी भी शुभ कार्य के लिए लग्न तथा मुहूर्त का निर्णय किया जाता है लग्न तथा मुहूर्त यदि शुद्ध हो तो कार्य में सकारात्मक परिणाम बढ़ जाते हैं तथा नकारात्मकता काम हो जाती है ऐसे समय में किए गए शुभ कार्य हमेशा लाभ ही देते हैं.


क्या है लग्न बल का महत्व - 


लग्नवीर्यं विना यत्र यत्कर्म क्रियते बुधै:.


तत्फलम विलयं याति ग्रीष्मे कुसरिता यथा.


अर्थ - लग्न बल के बिना जो कुछ भी शुभ कार्य किया जाता है उसका फल वैसे ही व्यर्थ हो जाता है जैसे ग्रीष्म काल में बिना जल के नदियां व्यर्थ हो जाती हैं.


अनंत राधिका के विवाह में लग्न मुहूर्त का निर्णय विद्वान ज्योतिषों ने बहुत गहन विचार के साथ दिया है. यह एक प्रशंसा योग्य कार्य उनके द्वारा किया गया है. इसके कुछ शुभ अशुभ बिंदु हम वैदिक सूत्रों के माध्यम से देखते हैं.


सकारात्मक बिन्दु -



  1. विवाह लग्न का निश्चय करते समय त्रिविक्रम संहिता के अनुसार, लग्न स्थान में चंद्र तथा सूर्य,शनि, मंगल, राहु, केतु जैसे क्रूर ग्रह नहीं होने चाहिए. इस विवाह लग्न के समय में कोई भी क्रूर ग्रह अथवा चन्द्रमा लग्न में नहीं है, यह सकारात्मक बिन्दु है.

  2. लग्न से छठे स्थान में शुक्र, चंद्र तथा लग्नेश नहीं होना चाहिए. इस लग्न में षष्टम भाव में कोई ग्रह नहीं है, यह सकारात्मक बिन्दु है.

  3. अष्टम भाव में चंद्र मंगल बुध गुरु शुक्र तथा लग्नेश नहीं होने चाहिए. इस लग्न के समय अष्टम भाव में उपरोक्तानुसार कोई भी ग्रह नहीं है, जो अच्छी स्थिति है.

  4. लग्नेश मजबूत होना चाहिए तथा केन्द्र या त्रिकोण अथवा लाभ भाव में होना चाहिए. इस लग्न मुहूर्त में लग्नेश सूर्य एकादश भाव में है, यह अपने आप मे एक शुभ स्थिति है. यह कई दोषों का काट देता है.

  5. बृहस्पति सप्तम भाव में नहीं होना चाहिए तथा केन्द्र या त्रिकोण भावों में होना चाहिए. इस लग्न में बृहस्पति दशम भाव केंद्र स्थान में है, यह स्थिति विवाह लग्न के कई बड़े दोषों को समाप्त कर देती है.

  6. चन्द्रमा द्वितीय तृतीय अथवा एकादश भाव में होना चाहिए. इस लग्न मुहूर्त में चंद्रमा द्वितीय भाव में स्थित है जो कि अपने आप में एक शुभ योग है.


नकारात्मकता वाले बिन्दु -


विवाह लग्न के समय में सप्तम भाव में कोई भी ग्रह नहीं होना चाहिए. यह भाव खाली होना ही उत्तम माना गया है, लेकिन इस विवाह लग्न में सप्तम भाव में शनि विराजमान हैं, जो कि छठे तथा सातवें भाव का स्वामी है.


शनि की इस स्थिति के कारण भविष्य में रोग तथा गम्भीर विवाद की परिस्थितियों उत्पन्न हो सकती हैं. द्वितीय भाव में केतु और अष्टम भाव में राहु भी हैं जो आपसी सामंजस्य में विघ्न पैदा करने के संकेत दे रहे हैं. इस पर विचार करना चाहिए.


लग्ने वर्गोत्तमे वेन्दौ द्यूनाथे लाभगेअथवा,


केन्द्र कोणे गुरौ दोषा नश्यन्ति सकलाअपि.


इस सूत्र के अनुसार एकादश भाव में सूर्य का होना तथा केंद्र में बृहस्पति का होना कई दोषों को कम कर देता है. मंगल की स्थिति भी यहां शुभ है. बाकी जो ग्रह खराब प्रभाव उत्पन्न कर रहे हैं उनके लिए नियमित पूजा पाठ आदि करवाने से दोष कम हो जाते हैं.


ऐसा कोई भी मुहूर्त निर्माण संभव है, जिसमें कुछ कमी ना हो. प्रत्येक लग्न मुहूर्त में कुछ ना कुछ कमी रहती है, जिसे पूजा पाठ दान आदि के माध्यम से पूरा करने का प्रयास किया जाता है


विवाह मुहूर्त का निष्कर्ष


अनंत राधिका के विवाह के लग्न मुहूर्त में लगभग सभी ग्रह अच्छे स्थानों में विराजमान है तथा लग्न पर भी अच्छा मत और मजबूत है इस लग्न में कमियां बहुत अल्प हैं, जिनको पूजा पाठ दान आदि के माध्यम से पूरा करने का प्रयास किया जाएगा तथा इस लग्न में किया गया विवाह भविष्य में खुशहाली वाला ही रहेगा.


विशेष


विवाह लग्न मुहूर्त एक अलग विषय है, तथा जन्म कुंडलियों में विवाह का सुख होना अलग विषय है. अक्सर देखने में आता है कि शुभ मुहूर्त में किए गए विवाह में भी तलाक हो जाता है.


भगवान राम का विवाह श्री वाशिष्ठ ऋषि जी ने सबसे अधिक शुद्ध मुहूर्त में करवाया था, लेकिन फिर भी भगवान श्रीराम को माता सीता से वियोग सहना पड़ा.


इसका कारण उनकी जन्म कुंडली में विवाह सुख की कमी होने का योग था. अतः सिर्फ विवाह के लग्न मुहूर्त पर ही पूरे वैवाहिक जीवन के भविष्य का निर्णय कहना उचित नहीं रहता है. अन्य तथ्यों का भी विचार करना चाहिए.


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