Apara Ekadashi 2023 Date: 15 मई, सोमवार के दिन अपरा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा. इस एकादशी को अजला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस एकादशी को करने से अपार पुण्य प्राप्त होता है. यह व्रत करने से कीर्ति, पुण्य और धन की वृद्धि होती है. यह व्रत ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों से मुक्ति भी दिलाका है. इस दिन तुलसी, चंदन, कपूर और गंगाजल से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.


अपरा एकादशी व्रत का महत्व


पुराणों में अपरा एकादशी का विशेष महत्व माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत करने से गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने के बराबर फल प्राप्त होता है. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्‍मी भी प्रसन्‍न होती हैं और घर धन-धान्‍य से संपन्न बनता है. पद्म पुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से मुनष्‍य भवसागर तर जाता है और उसे प्रेत योनि के कष्‍ट नहीं भुगतने पड़ते हैं.



अपरा एकादशी व्रत कथा


प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था. उसका एक छोटा भाई था जिसका नाम वज्रध्वज था. वज्रध्वज अपने बड़े भाई के प्रति द्वेष की भावना रखता था. अवसरवादी वज्रध्वज ने एक दिन राजा की हत्या कर दी और उसके शव को जंगल में पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया. माना जाता है कि अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल पर रहने लगी. 


राजा धर्मात्मा की आत्मा उस मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति को परेशान करती थी. एक बार एक ऋषि जब इस रास्ते से गुजर रहे थे, तब उन्होंने राजा की प्रेतआत्मा को देखा. अपने तपोबल से उन्होंने उनके प्रेत बनने का कारण जान लिया. ऋषि ने राजा की प्रेतात्मा को पीपल के पेड़ से नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया. 


राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा. द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर इसका पुण्य प्रेत को दे दिया. व्रत के प्रभाव से राजा की आत्मा प्रेतयोनि से मुक्त हो गई और वह स्वर्ग चला गया.


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