Vidur Niti: जीवन में होगी संतुष्टि और प्रसन्नता, रहें इन तीन दोषों से दूर
Vidur Niti: महात्मा विदुर की नीतियां आज के जमाने में बहुत प्रासंगिक हैं. इनको अपनाने से जीवन में संतुष्टि और प्रसन्नता प्राप्त होती है.
Vidur Niti: महात्मा विदुर की नीतियों (Mahatma Vidur ki nitiyan) से हमें लोगों के व्यवहार को जानने में बहुत आसानी होती है. जिस तरह से महात्मा विदुर (Mahatma Vidur) ने लोगों के हाव-भाव और व्यवहार की बारे में संकेत दिया है, उन संकेतों को समझ कर हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं. मानसिक रूप से संतुष्टि प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि उन व्यक्तियों के बारे में जाना जाए जो हमारे लिए हितकर नहीं हैं. महात्मा विदुर (Vidur) ने जीवन में सफलता और प्रसन्नता पाने के लिए तीन दोषों से मुक्त रहने की सलाह दी है.
इन तीनों दोषों का करें त्याग
पर स्त्री का स्पर्श: महात्मा विदुर (Mahatma Vidur) जी कहते हैं कि पहला दोष काम का होता है. जो व्यक्ति कामवासना से ग्रसित होता है या पराई स्त्री का सम्मान नहीं करता है, वह पर स्त्री के स्पर्श का दोषी होता है. काम भावना की अधिकता के कारण वह व्यक्ति अपने नैतिक मूल्य खो देता है और उसके चरित्र का हनन हो जाता है.
पर धन का हरण: विदुर नीति (Vidur Niti) के अनुसार दूसरा दोष लोभ का होता है. लालची व्यक्तियों की नजर सदैव दूसरों के धन पर होती है. वह हमेशा यही सोचता है कि कैसे दूसरों की संपत्ति को हथियाया जाए. मनुष्य लोभ की भावना की अधिकता के कारण ऐसा कार्य करने के लिए प्रेरित होता है.
मित्रों का त्याग: विदुर जी (Vidur Niti) के कथनानुसार तीसरा दोष क्रोध का होता है. जो व्यक्ति स्वभाव से क्रोधी होता है, वह दूसरों का सम्मान नहीं करता है. दूसरों का व्यवहार उसे पसंद नहीं होता है. इसीलिए धीरे-धीरे उसके सारे मित्र समाप्त हो जाते हैं. वह व्यक्ति स्वार्थी हो जाता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.