Ashad 2021: 25 जून, गुरुवार से आरंभ हो रहा है हिंदू कैंलेडर का चौथा महीना, योगिनी और देवशयनी एकादशी कब हैं जानें, डेट और शुभ मुहूर्त
25 जून 2021 से आषाढ़ मास (Ashad Kab Lagega 2021) का आरंभ होने जा रहा है.हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) में आषाढ़ मास को चौथा मास (Fourth Month)माना गया है.आषाढ़ मास (Ashad Mahina 2021) में देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2021) से चतुर्मास (Chaturmas 2021) का आरंभ होता है.
Ashad Month 2021 Start Date: ज्येष्ठ मास का समापन 24 जून, गुरुवार को हो रहा है. पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास 25 जून, शुक्रवार को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ हो रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास को बहुत ही महत्वपूर्ण मास माना गया है.
आषाढ़ मास में व्रत और पर्वों का विशेष महत्व बताया गया है. इस मास में पड़ने वाली एकादशी तिथियों को महत्वपूर्ण माना गया है. आषाढ़ मास में दो एकादशी की तिथि पड़ती है. एक एकादशी की तिथि कृष्ण पक्ष और दूसरी एकादशी की तिथि शुक्ल पक्ष में आती है.
योगिनी एकादशी 2021 (Yogini Ekadashi 2021)
आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार 5 जुलाई 2021, सोमवार को एकादशी तिथि है.
- योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2021 Shubh Muhurat)
- 5 जुलाई, सोमवार
- एकादशी तिथि का प्रारम्भ: 04 जुलाई 2021 को प्रात: 07 बजकर 55 मिनट से.
- एकादशी तिथि का समापन: 05 जुलाई 2021 को रात्रि 10 बजकर 30 मिनट पर.
देवशयनी एकादशी 2021 (Devshayani Ekadashi 2021)
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. पंचांग के अनुसार 20 जुलाई,मंगलवार को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है. इस एकादशी को इन नामों से भी जाना जाता है-
- आषाढ़ी एकादशी
- देवशयनी एकादशी
- हरिशयनी एकादशी
- पद्मनाभा एकादशी
देवशयनी एकादशी 2021, शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi 2021 Date)
- एकादशी तिथि आरंभ: 19 जुलाई , 2021 को रात्रि 09 बजकर 59 मिनट.
- एकादशी तिथि समाप्त: 20 जुलाई, 2021 को रात्रि 07 बजकर 17 मिनट.
चतुर्मास 2021 कब से आरंभ हो रहा है? (Chaturmas 2021)
देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु का शयन काल आरंभ हो जाता है. इस तिथि से भगवान विष्णु पताल लोक में विश्राम करने चले जाते हैं और पृथ्वी की बागड़ोर भगवान शिव को सौंप जाते हैं. देवशयनी एकादशी से ही चतुर्मास का आरंभ होता है. चतुर्मास के आरंभ होने के बाद शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. चतुर्मास में शादी, मुंडन गृह प्रवेश और सोलह संस्कारों को वर्जित माना गया है. चतुर्मास का समापन देवोत्थान एकादशी पर होता है.