Ashadha Month 2024: 100 साल बाद आषाढ़ में बनेगा महाभारत काल जैसा अशुभ संयोग, भूलकर भी न करें ये काम
Ashadha Month 2024: इस बार आषाढ़ महीने का कृष्ण पक्ष 15 के बजाय 13 दिनों का होगा. ऐसा संयोग 100 साल बाद बना है. इसे दुर्योग काल (Duryoga kaal) कहा जाता है. 13 दिनों के इस काल को शुभ नहीं माना जाता है.
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Ashadha Month 2024: आषाढ़ महीने की शुरुआत 23 जुलाई से हो रही है और इसकी समाप्ति 21 जुलाई 2024 को होगी. पंचांग के अनुसार हर मास में दो पक्ष (कृष्ण और शुक्ल) होते हैं, जोकि 15-15 दिन के होते हैं. लेकिन इस वर्ष आषाढ़ महीने का कृष्ण पक्ष 15 के बजाय केवल 13 दिनों का होगा.
जब ऐसी स्थिति आती है यानी जब एक पक्ष 13 दिनों का होता है तो इसे दुर्योग काल (Duryoga kaal) कहा जाता है. इन दिनों को कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. कहा जाता है कि, द्वापर युग में भी 13 दिनों का ऐसी ही अशुभ संयोग बना था. इसके बाद महाभारत (Mahabharat) युद्ध हुआ था.
100 साल बाद बन रहा महाभारत काल का संयोग
द्वापर युग के महाभारत काल में युद्ध के दौरान 13 दिन के पक्ष में यह दुर्योग काल निर्मित हुआ था. उस काल में भारी जनहानि और प्राकृतिक आपदा की घटनाएं घटी थी. कौरव पांडवों के बीच भीषण युद्ध के दौरान अपार जनहानि हुई थी. इस काल में भी प्राकृतिक प्रकोप बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है. पंचांग के अनुसार संवत 2081 में आषाढ़ मास 23 जून से 21 जुलाई तक रहेगा. इस दौरान कृष्ण पक्ष में द्वितीया और चतुर्थी तिथि का क्षय होगा. यही वजह है कि 23 जून से 5 जुलाई तक आषाढ़ की कृष्ण पक्ष समाप्त हो जायेगा. इस तरह कृष्ण पक्ष 15 दिनों के बजाय 13 दिनों का होगा.
भूलकर भी ना करें ऐसे काम
मान्यता है कि महाभारत काल जैसा ये दुर्योग काल शुभ नहीं है. इस काल में विनाश, आपदा और आपातकालीन जैसी परिस्थितियां उत्पन्न होती है. कलयुग में यह काल इस बार 100 साल के बाद फिर से बन रहा है. इस काल में लोगों को भूलकर भी कोई मांगलिक कार्य जैसे कि शादी, विवाह, गृह प्रवेश, निवेश या कीमती चीजों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए.
महाभारत का युद्ध
द्वापर युग में इसी योग (दुर्योग) में महाभारत का युद्ध हुआ था. महाभारत के युद्ध में कौरव और पांडव के बीच युद्ध हुआ. इस युद्ध में कौरव वंश का विनाश हो गया और अंत में सत्य ही विजयी हुआ. महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण पांडवों के पक्ष में थे. सत्य को जीत दिलाने के पहले भगवान् कृष्ण ने शांतिपूर्ण रूप से अथक प्रयास किया लेकिन, कौरवों को भगवान कृष्ण के दिए हुए एक भी प्रस्ताव स्वीकार नहीं हुए. आखिरकार न्याय दिलाने के लिए महाभारत हुआ.
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