Ashadha Saptami Puja: आषाढ़ मास की सप्तमी पर उगते सूरज को दें अर्घ्य, पुरानी बीमारियां होंगी खत्म, शत्रुओं पर प्राप्त होगी विजय
Surya Puja: शास्त्रों में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के कई लाभ बताए गए हैं. आषाढ़ माह की सप्तमी तिथि को सूर्य देव को जल चढ़ाना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. जानते हैं इसके नियम के बारे में.
Ashadha Maah: हिंदू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ माह के नाम से जाना जाता है. यह महीना भगवान विष्णु, सूर्य देव और देवी दुर्गा को समर्पित है. इसे कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है. इस माह में किए गए सभी तीर्थ, प्रार्थनाएं, जप, तप और साधना सिद्ध होते हैं. आषाढ़ महीने की सप्तमी तिथि को भगवान सूर्य के वरूण रूप की पूजा करने की परंपरा है. इस दिन भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वत का भी पूजन किया जाता है.
आषाढ़ मास की सप्तमी
आषाढ़ मास की सप्तमी तिथि 25 जून, रविवार को है. इस दिन उगते हुए सूरज को जल चढ़ाकर विशेष पूजा-अर्चना करने की परंपरा है. इस दिन सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखना चाहिए. पुराणों में भी इस दिन भगवान सूर्य को जल चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है. माना जाता है कि इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने से सभी तरह की पुरानी बीमारियां दूर होती हैं और दुश्मनों पर जीत मिलती है.
सूर्य को अर्घ्य देने के फायदे
शास्त्रों के अनुसार उगते सूर्य को जल चढ़ाने से आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. सप्तमी तिथि पर सूर्य को जल चढ़ाने और पूजा करने से बीमारियां दूर होती हैं. श्रद्धापूर्वक सूर्य पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सूर्य देव की पूजा से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है. आषाढ़ मास की सप्तमी पर सूर्य देव को अर्घ्य देने से आनंद, स्वास्थ्य, धन, शक्ति और सौभाग्य में वृद्धि होती है. यह आत्मिक और मानसिक शक्ति को बढ़ावा देता है.
इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से शरीर को ऊर्जा मिलती है. यह सौम्यता, संतुलन और शांति की अनुभूति कराता है. यह अंतर्दृष्टि में सुधार करता है जिससे जीवन में समृद्धि और सफलता लाने में मदद मिलती है. सूर्य देव को अर्घ्य देने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.
सूर्य को अर्घ्य देने के नियम
सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. इस समय अर्घ्य देने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. सूर्य को अर्घ्य देने के समय सफेद रंग के वस्त्र पहनना उचित माना जाता है. अर्घ्य पात्र में जल के साथ फूल, अक्षत और थोड़ा गंगाजल मिलाना चाहिए. सूर्य को अर्घ्य देने के लिए अपने दक्षिणी द्वार से बाहर जाएं और सूर्य की ओर मुड़कर खड़े हो जाएं. अर्घ्य के दौरान सूर्य और गायत्री मंत्र का उच्चारण करना शुभ माना जाता है.
जल चढ़ाते समय सूर्य के वरूण रूप को प्रणाम करते हुए ऊं रवये नम: मंत्र का जाप करें और शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करें. जल चढ़ाने के बाद धूप, दीप से सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए. रविवार के दिन सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन में से किसी भी एक चीज का दान करना बहुत शुभ माना जाता है.
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