नई दिल्ली: ज्योतिष में विष योग को अशुभ योग की श्रेणी में रखा गया है. अधिकतर लोग इस योग को बहुत ही बुरा मानते है. ऐसे लोगों का मानना है कि जिन लोगों की जन्मकुंडली में यह योग पाया जाता है वे जीवन भर भटकते रहते हैं, हमेशा परेशानियों से जूझते रहते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. विष योग कई मायने में बेहद शुभ भी होता है, आइए जानते हैं इस योग के बारे में-


जन्मकुंडली में विष योग तब बनता है जब जन्मकुंडली के किसी भी भाग में शनि और चंद्रमा एक साथ बैठ जाएं याफिर ये ग्रह एक दूसरे को देखने लगे. ऐसी स्थिति में इस योग का निर्माण होता है. लेकिन मात्र शनि और चंद्रमा की युति हो जाने से ही विष योग नहीं मान लेना चाहिए. इन ग्रहों की डिग्री और किस अवस्था में है इन बातों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. कुछ लोगों का मत है कि अगर इन दोनों ग्रहों के बीच शुभ ग्रह आ जाएं तो इस योग में कमी आ जाती है.


शनि एक स्थित और न्याय प्रिय ग्रह है. जब यह चंद्रमा के साथ आ जाता है तो चंद्रमा को पीड़ित कर देता है. चंद्रमा का संबंध मन से हैं. इसलिए व्यक्ति को मानसिक तनाव होने लगता है. निर्णय लेने में व्यक्ति को दिक्कत आती है. चंद्रमा चंचल होता है. ऐसे व्यक्ति को शनि के कारण भटकना पड़ जाता है, कार्य क्षेत्र में बदलाव भी करता है. ऐसे लोगों का मां से मनमुटाव रहता है. मां से दूर रहते हैं ऐसे लोग. लेकिन इन सबके बाद भी यह योग व्यक्ति को बेहद मजबूत बनाता है. ऐसे लोगों को बनावटी बातें पसंद नहीं आती है. ऐसे लोगों को सुख सुविधाओं की कमी नहीं रहती है. लेकिन वे एकांत पसंद करते हैं. ऐसे लोगों को मित्रों का साथ मिलता है. लेकिन कभी कभी मित्र धोखा भी देते हैं.


जिन लोगों की कुंडली विष योग बनता है वे किसी भी तरह का नशा न करें, अपनी सेहत को लेकर सजग रहें. पूजा पाठ करें और धार्मिक क्रिया कलापों में रुचि लें. भगवान शंकर की पूजा करने से आराम मिलता है.