नई दिल्ली: कई लोगों की ख्वाहिश होती है कि वे गायक बनें. इसके लिए वे रियाज करते हैं. संगीत सीखते हैं लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिलती है. जन्मकुंडली में मौजूद ग्रहों से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति गायक बन सकता है या नहीं.
जन्मकुंडली का दूसरा भाव, यानि लग्न के बाद जो भाव आता है उसे दूसरा भाव या दूसरा घर कहते हैं. इसका संबंध वाणी से होता है. यानि व्यक्ति की आवाज कैसी होगी इसका पता इस घर में विराजमान ग्रह से लगाते हैं. इस द्वितीय भाव में जो भी ग्रह बैठे होते हैं व्यक्ति की वाणी में उसका ग्रह का प्रभाव दिखाई देता है. जैसे इस भाव में अगर मंगल बैठा हो तो व्यक्ति की वाणी प्रभावशाली होती है, वह जो बोलता है उसे लोग सुनते हैं. ऐसे लोग अच्छे वक्ता भी होते हैं. इनमें बोलने की कला होती है.
सूर्य की मौजूदगी होने से व्यक्ति सही बात कहने वाला होता है. भले ही सामने वाला बुरा मान जाए. शनि विराजमान हों तो व्यक्ति बोलने से पहले सोचेगा नहीं जो सत्य होगा उसे बोलने से नहीं हिचकेगा. ऐसे व्यक्ति जो बोल देते हैं उस पर कायम रहते हैं इनकी वाणी में एक रौब होता है.
राहू और केतु में से कोई भी एक ग्रह मौजूद हो तो व्यक्ति अपने मतलब निकालने के लिए कुछ भी बोल सकता है, ऐसे लोग झूठ बोलने से भी नहीं डरते हैं. ऐसे व्यक्ति अधिक बोलने वाले भी हो सकते हैं. शुक्र इस भाव में आकर बैठ जाएं तो व्यक्ति की बातों में चंचलता होती है. चंद्रमा की मौजूदगी वाले व्यक्ति को सुंदर और काव्यात्मक तरीके से बात करने की आदत होती है. ऐसे जातक बातों को बहुत ही रहस्यमय तरीके से पेश करते हैं.
द्वितीय भाव में अगर बुध विराजमान हो जाएं तो व्यक्ति को गायक बना देते हैं. ऐसे व्यक्ति की आवाज मधुर होती है उसे गाने गुनगुनाने का शौक होता है ऐसे लोग अगर बचपन से ही संगीत सीखने लगें तो अच्छे गायक बन सकते हैं. गायकों की कुंडली में ऐसी स्थिति देखी गई है.