Astrology : पाये अर्थात पद का हमारे जीवन की सफलता और उन्नति से बहुत महत्वपूर्ण संबंध है. कुंडली में लग्न से चंद्रमा किस भाव में है उससे पाये का पता चलता है. बड़े बुजुर्गों और पंडितों से पैरो के सोने, चांदी, तांबे और लोहे के होने की बात सुनी होगी. आज भी बच्चे के जन्म के बाद  उस घर के बड़े बुजुर्ग पंडित के पास जाकर  पूछते है कि हैं बच्चे के पाये कैसे है शुभ है या अशुभ? 


पलंग के पायों की तरह जन्म कुंडली के 12 भावोंं में बांटा गया है और इन अलग-अलग जन्म लग्न से चंद्रमा जिस भाव में हो, उस भाव के अनुसार पाया निर्धारण करते हैं. “पाये” से यह ज्ञात हो जाता है कि जन्मांग में चंद्रमा किस भाव में हैं. आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि पायों का क्या रहस्य होता है और इनको पहचानने के साथ-साथ ऐसे व्यक्ति के जीवन में क्या अच्छा और क्या बुरा हो सकता है और किस प्रकार के किए गए उपाय इनसे होने वाली समस्याओं का निवारण करते हैं.


चांदी का पाया - चंद्रमा लग्न से द्वितीय, पंचम, नवम भाव में हो तो बच्चे का चांदी के पाये में जन्म होता है. इस पाये में जन्म लेने वाले लोग काफी भाग्यशाली होते हैं. ये लोग अपने साथ साथ अपने परिवार वालों के लिए भी शुभ होते हैं. इन्हें कुछ पाने के लिए परिश्रम कम करना पड़ता है और लक्ष्य सुलभता से हासिल कर लेते हैं. इसमें जन्मा बालक स्वयं के लिए लाभकारी होता है और उसे  सुख-सुविधाओं की वस्तुएं प्राप्त होती है.


तांबे का पाया - चंद्रमा लग्न से तृतीय, सप्तम, दशम भाव में हो तो बच्चे का तांबे के पाये में जन्म होता है. चांदी के पाये की तरह तांबे का पाया भी अत्यधिक शुभ होता है. ऐसे पाये में जन्म लेने वाला बच्चा अपने पिता की उन्नति कराने वाला होता है और परिवार के लिए बेहद भाग्यशाली साबित होता है. 


सोने का पाया - चंद्रमा लग्न से प्रथम, छठे, एकादश भाव में हो तो बच्चे का सोने के पाये में जन्म होता है. सोने का पाया कुछ खराब होता है. इस पाये में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को सुख-सुविधा मिलने में कठिनाई होती है. ऐसे लोगों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है. इसमें जन्मा बालक पिता की बात का अनुसरण नहीं करता है दोनों के विचारों में मतभेद रहता है जिसके कारण माता को भी कष्ट रहता है. पेट संबंधित रोग जीवन में परेशान करते रहते है. अनाज का दान करने से इसके कुप्रभाव में कमी आती है.


लोहे का पाया - चंद्रमा लग्न से चतुर्थ, अष्टम, द्वादश भाव में हो तो बच्चे का लोहे के पाये में जन्म होता है. लोहे का पाया अशुभ माना जाता है,  लौह पद में जन्मा बच्चा अपने लिए, माता-पिता, दादा-दादी और  नाना-नानी के लिए शुभ नहीं  होता है. जोड़ों के दर्द और उदर रोग से भी पीड़ित रहता है. लोहे, काले तिल, काला कपड़ा, काले उड़द के दान करने से इसके कुप्रभाव में कमी आती है. यदि अधिक कष्ट प्राप्त हो रहा हो तो वजन के बराबर अनाज दान करना चाहिए.


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