Astro Health: शनि 'कब्ज' तो सूर्य देता है 'नेत्र' रोग, कुंडली में बैठे ग्रह भी देते हैं गंभीर रोगों की जानकारी
Astro Health: किसी भी इंसान के पास रुपया-पैसा, धन-दौलत, गाड़ी, बंगला, नौकर-चाकर, बैंक बेलेंस सब कुछ हो लेकिन स्वास्थ्य (Health) अच्छा ना हो तो ये सभी सुविधाएं व्यर्थ लगती हैं.
Astrology, Health: 'हेल्थ इज वेल्थ' यानि स्वास्थ्य ही सम्पति है और यह बात सच है. अगर इंसान का दिगाम स्वस्थ्य होगा, शरीर स्वास्थ्य होगा तभी वह अलग अलग सुविधाओं का प्रयोग कर पायेगा अन्यथा कोई लाभ नहीं है. मगर आज के इस प्रदूषित वातावरण में पूरी उम्र बिना किसी समस्या और हेल्दी बॉडी बहुत ही भाग्यशाली लोगों को ही मिलती है.
किसी दुश्मन की तुलना में रोग रूपी दुश्मन भी हमेशा इंसान को घेरा ही रहता है. एक रोग ठीक हुआ नहीं कि दूसरा लग जाता है. यह दुशमन तो अन्य सभी दुश्मनों से ज़्यादा भयंकर है और तो और हमे सबसे पहले इसी दुश्मन को ही मारना चाहिए. सबसे पहले हम इस बात से जागरुक होने चाहिए कि किन ग्रहों से कौन-कौनसी बीमारियां हो सकती हैं. ग्रहों के अनुसार अलग अलग रोग यह होते हैं -
- सूर्य (Surya): डिप्थीरिया, नेत्र रोग, अपच, गठिया, ब्लड प्रेशर, स्नायु-दुर्बलता.
- मंगल (Mangal): दुर्घटना, अंगों की शिथिलता (Organ Dysfunction), हृदय संबंधी समस्याएं, रक्तचाप (Blood Pressure).
- बुध (mercury): त्वचा रोग (Skin Diseases), मांसपेशियों की कमजोरी (Muscle Weakness), तनाव (Tension), कमजोरी, मानसिक समस्याएं (Mental Problems),
- गुरु (Guru): त्वचा रोग (Skin Diseases), दाद-खाज, खुजली (Itching), प्रमेह, सेप्टिक, पित्त-प्रकोप, शूल रोग, उद्वेग, गुप्तेन्द्रिय शैथिल्य, भोग से अरूचि, रक्त संबंधी समस्या, गैस.
- शुक्र (Venus): फेफड़े संबंधित रोग, धातु क्षीणता, मांसपेशियों की कमजोरी, छाती की कमजोरी, मूत्र रोग (Urine Disease), कफजनित रोग,सर्दी (Cold).
- शनि (Shani): वायु रोग, गठिया (Arthritis), शरीर क्षीणता, नजर दोष, कमजोर हृदय, रक्त की कमी, कब्ज, ब्लड प्रेशर, कुष्ठ रोग,गंजापन, नाक-कान में पीड़ा.
एक सवाल ये भी है कि स्वास्थ्य समस्या का हल करते समय किन-किन भावों का विश्लेषण करना चाहिए. यदि आपकी कुंडली है तो इस प्रश्न का उत्तर जानना काफी हद तक आसान हो जाता है. क्योंकि कुंडली के 12 भाव और उसमें बैठे ग्रह सम्पूर्ण देह का प्रतिनिधित्व करते हैं. जैसे कुंडली का छठा भाव रोग, आठवां भाव आयु का है.
लग्नाधिपति, षष्ठेश, अष्टमेश की स्थिति और इन भावों पर दृष्टि, भावेश पर अन्यान्य ग्रह की दृष्टि, रोग कारक ग्रह तथा ग्रह-युति का विश्लेषण किया जाता है.इसके साथ ही कुंडली में ग्रहों की दशा, अन्तरदशा का अध्ययन भी जरूरी है. साथ ही साथ मारकेश, दुर्योग, केम्द्रुम योग, पापकर्त्तरी योग, साढ़ेसाती आदि का अच्छी तरह अध्ययन करना चाहिए. इसके बाद ग्रहों के गोचर की स्थिति का भी अध्ययन करना आवश्यक है.
सेहत संबंधी परेशानी (Health Issues)
कुछ सेहत संबंधी दिक्कतें अलग अलग ग्रहों के संयोग से भी होती हैं. जैसे की - अगर सूर्य के साथ चंद्रमा का संयोग हो जाए तो जलोदर रोग (Ascites Disease) होता है. अर्थात् पेट में पानी भर जाता है.
- सूर्य-चंद्र युति: हृदय संबंध परेशानी होती है.
- चंद्रमा-केतु युति: ग्रहण योग बनाता है, और सूर्य-दृष्टि पडऩे से भैंगापन आ जाता है.
- सूर्य- शुक्र युति: गुप्तेन्द्रिय रोग होता है. शुक्र जहां भोग 'सेक्स’का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं सूर्य उन्हें जलाने का गुण अपने में समेटे रहता है. सूर्य हड्डियों का प्रतिनिधित्व करता है तथा मंगल टूटने यानि दुर्घटना (Accident) का प्रतिनिधित्व करता है.
- सूर्य-मंगल युति: इस युति के कारण प्राय: एक्सीडेंट होते देखा गया है, अथवा यह युति जोडों में दर्द, पीड़ा देती है.
- बुध-राहु युति: से संयोग करे और सूर्य से बुध-राहु प्रभावी हों तो जातक आंत्र रोग (Bowel Disease) से अवश्य पीडित होगा.
शनि वायु रोग प्रधान है, सूर्य-पुत्र होकर भी प्रबल शत्रु है. फलस्वरूप इनके योगा से वायु रोग पीडि़त जातक कष्ट अवश्य पाता है. सूर्य-राहु के कारण हार्ट से जुड़ी समस्या होती है. सूर्य-बुध-शनि संयोग से दमा, श्वास, रोग होने की संभावना रहती है. यदि सूर्य-बुध-चंद्रमा संयोग कुंडली में बने तो मानसिक पीड़ा, नर्वसनेस, मस्तक रोग होता है. वहीं सूर्य यदि शनि-राहु से संयोग कर ले तो पोलियो जैसा खतरनाक रोग हो सकता है.
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.