कर्ज का भार व्यक्ति के जीवन में अभिशाप की तरह होता है, जो व्यक्ति की खुशहाल जिंदगी को नष्ट कर देता है. कर्ज एक ऐसा मायावी छल है, जिसके चक्रव्यूह में फंसे व्यक्ति को लाख प्रयत्नों के बाद भी छुटकारा नहीं मिल पाता, बल्कि निरंतर इस दलदल में फंसता ही चला जाता है. ऋण लेते ही वह अपने साथ तनाव, बीमारी, लड़ाई-झगड़ों और मानसिक पीड़ा को भी लेकर आता है. यदि आप भी ऋण के ऐसे घातक दलदल में फंस चुके हैं तो यह बताए गए प्रयोग आपके लिए ही है. इस लेख में कुछ ऐसे सरल उपाय प्रस्तुत किए गए हैं, जिसके प्रयोग से आप भी यथाशीघ्र ऋणमुक्त की ओर बढ़ेंगे.



  • घर की तिजोरी और अलमारी को उत्तर दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए, क्योंकि इस दिशा के स्वामी गणेश जी और कुबेर हैं. इनकी कृपा दृष्टि से ऋण चुकाने वाली रकम सदा आपके पास रहती है.

  • “ऊं श्री गणेश ऋणं छिंधि वरेण्यं हुं नमः फट्” इस ऋणहर्ता गणेश मंत्र को बुधवार व चतुर्थी के दिन से प्रत्येक सप्ताह ग्यारह सौ बार जप करना चाहिए. इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को ऋण चुकाने में मदद करते  हैं.

  • पूजा घर में दीपक जलाते समय जल का पात्र भी अवश्य रखना चाहिए, क्योंकि पूजा के दौरान पांचों तत्वों (आकाश, पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि) का शामिल होना अति आवश्यक है. जो आपकी परेशानियों को दूर करता है.

  • कर्ज से मुक्ति के लिए सर्वप्रथम घर में देखना चाहिए कि कहीं जल की बर्बादी तो नहीं हो रही. नल बंद होने के बाद भी लगातार पानी गिरते रहने से धन की कमी रहती है, और इसके चलते ऋण लेना पड़ जाता है.

  • ऋण की प्रथम किश्त देने से पहले श्री हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ाएं. दीपक, चंदन की अगरबत्ती और गुग्गल की धूप के साथ गुलाब में तुलसी लगी माला अर्पित करें. उनसे कर्ज को शीघ्र खत्म करने की प्रार्थना करें.

  • यदि किसी कारण वश ऋण लेना ही पड़ता है तो कर्ज को लेने के पश्चात कुछ पैसों से भगवान को प्रसाद अर्पित करें और निवेदन करें कि हमने मजबूरी में ऋण लिया है, हे प्रभु इससे शीघ्र मुक्ति दिलाने की कृपा करें.

  • जब तक ऋण खत्म न हो जाए, तब तक नियमित रूप से ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र, ऋणमोचक मंगल स्तोत्र और कवच का पाठ करते रहें.

  • जब आप किसी प्रकार के ऋण की प्रथम किश्त का भुगतान करें तो उस दिन हनुमान जी के नाम से गरीब व्यक्तियों को भोजन अवश्य कराएं.

  • जब आपकी राशि का स्वामी बारहवें घर में हों, तब भी आप ऋण चुकाना आरंभ कर सकते हैं.

  • यदि आप अपने निवास के निर्माण के लिए ऋण लेते हैं, तो मकान के निर्माण के समय विधिवत वास्तु दोष का निवारण करना चाहिए .


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