Astrology : ज्योतिष शास्त्र के अशुभ योगों में से एक है 'विष योग', जीवन में देता है अनंत परेशानियां
Astrology : ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में बनने वाले शुभ योगों के बारे में बताया गया है. वहीं अशुभ योगों की भी चर्चा की गई है.
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Astrology : जन्म कुंडली में बनने वाले शुभ-अशुभ योग मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जहां शुभ योग किस्मत बदलकर रख देते हैं वही अशुभ योग जीवन को संकटों से भर देते है. ऐसा ही एक योग है 'विष योग'.
कुंडली में विष योग कैसे बनता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव के प्रभाव से कुंडली में विष योग का निर्माण होता है. ज्योतिष शास्त्र में विष योग को एक खतरनाक और अत्यंत बुरे फल प्रदान करने वाला योग माना गया है. जन्म कुंडली को देखकर विष योग का पता आसानी से लगाया जा सकता है. वहीं जीवन में आनी वाली दिक्कतों के आधार पर भी इस योग के बारे में काफी हद तक पता लगाया जा सकता है.
जिस तरह जहर प्रभाव दिखाता है उसी तरह ये योग प्रभावित करता है
माना जाता है कि विष योग के कारण व्यक्ति का जीवन परेशानियों से घिर जाता है. जैसे विष अपना प्रभाव दिखाता है उसी प्रकार से व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हर कार्य में बाधा, मानसिक तनाव से मुक्त नहीं मिलती है. मन में बुरे विचार आते हैं. मन में सबकुछ त्याग देने की भावना आती है. जॉब, करियर, बिजनेस और सेहत से जुड़ी परेशानियां बनी रहती हैं. स्थितिरता प्राप्त नहीं होता है. व्यक्ति का आत्मविश्वास नष्ट हो जाता है. निराशा और हताशा बनी रहती है.
शनि और चंद्रमा से बनता है विष योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि और चंद्रमा की युति से विष योग बनता है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विष योग शनि और चंद्रमा की युति से बनता है. कुंडली के किसी भी भाव में जब शनि और चंद्रमा युति बना लेते हैं तो इस योग का निर्माण होता है. इसके साथ शनि और चंद्रमा के गोचर से भी विष बनता है. वहीं एक विशेष बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब शनि कमजोर और चंद्रमा बलवान होता है तो विष योग का प्रभाव कम हो जाता है. इसके साथ ही ग्रहों की डिग्री का भी मिलान करना चाहिए. यदि शनि और चंद्रमा एक दूसरे से 12 अंश दूर है तो विष योग नहीं बनता है. इसके अतिरिक्त अन्य चीजों का भी ध्यान किया जाता है. भगवान शिव और शनि देव की पूजा करने से इस योग का प्रभाव कम होता है.
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