Astrology: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की अशुभता जीवन में बाधा प्रदान करती है. जब ये ग्रह संतान को परेशान करने लगें तो संतान में कई प्रकार की गंदी आदतें पनपने लगती हैं. समय रहते यदि इसे समझ कर, उपाय कर लिया जाए तो बड़ी हानि से बचा जा सकता है.


ग्रहों का प्रभाव जीवन पर पड़ता है. ये ग्रह शुभ और अशुभ दोनों तरह के प्रभाव डालते हैं. जब ग्रह अशुभ हो तो संतान के व्यवहार और आदतों में कुछ बदलाव दिखाई देने लगता है. जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है.


जिद्दी स्वभाव
माना जाता है जब राहु और केतु कुंडली में अशुभ अवस्था में होते हैं तो बच्चे के स्वभाव में अचानक परिवर्तन आता है. बच्चा अचानक जिद्द करने लगता है. ज्योतिष शास्त्र में राहु केतु को पाप ग्रह माना गया है. ये दोनों ग्रह भ्रम के कारक भी हैं. जब ये अशुभ होते हैं तो बच्चा जिद्द करने लगता है. 


आलस (Laziness)
संतान में यदि आलस की आदत पनपने लगे तो सावधान हो जाना चाहिए. आलस को एक अवगुण माना गया है. आलस व्यक्ति को लक्ष्य से भटकाता है. यदि संतान में आलस की आदत बढ़ती जा रही है तो शनि देव को शांत करना चाहिए. इसके साथ ही मंगल का भी उपाय करना चाहिए. शनि की चाल धीमी बताई गई है. शनि व्यक्ति को आलसी भी बनाता है, वहीं मंगल को ऊर्जा का कारक माना गया है. मंगल के कमजोर होने से भी आलस की आदत पनपती है. मंगल को शुभ बनाने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए.


बात बात पर क्रोध आना
संतान को यदि बात बात पर क्रोध आता है तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को एक क्रूर ग्रह माना गया है. मंगल ग्रह जब खराब होता है तो ये व्यक्ति को क्रोधी बनाता है. इसलिए इस ग्रह को शांत करने का उपाय करना चाहिए. क्योंकि इस आदत के कारण गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ जाते हैं.


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