Vastu Tips for Sleeping: व्यक्ति के जीवन में वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व होता है क्योंकि इसमें व्यक्ति के जागने से लेकर सोने तक की दिनचर्या का वर्णन किया गया है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक व्यक्ति अगर वास्तु के नियमों के अनुसार अपनी दिनचर्या का पालन करे, तो वह जीवन के हर क्षेत्र में सफल रहेगा. इसके साथ ही घर में खुशहाली बनी रहती है और परिवार में समृद्धि रहेगी.


वास्तु शास्त्र में यह भी बताया गया है कि व्यक्ति को सोते समय उत्तर की दिशा में सिर या पैर करके नहीं सोना चाहिए, नहीं तो परेशानी हो सकती है. उत्तर दिशा की ओर सिर करके क्यों नहीं सोना चाहिए? आइये जानें इसके वैज्ञानिक कारण.


उत्तर दिशा में सोने के वैज्ञानिक कारण


विज्ञान का मानना है कि शरीर जब क्षैतिज अवस्था में होती है तो पल्स रेट गिर जाती है. यह व्यवस्था खुद शरीर की ही होती है, क्योंकि शरीर यदि ऐसा न करे तो रक्त समान स्तर पर पम्प होता रहेगा. परिणाम स्वरूप रक्त अधिक मात्रा में व्यक्ति के सिर में चला जाएगा. जिसके परिणाम स्वरूप रक्त वाहिकाएं ग्रसित हो सकती हैं. ज्योतिष शास्त्र के साथ विज्ञान भी यह कहता है कि पृथ्वी में उत्तर दिशा की ओर पॉजिटिव चुम्बकीय क्षेत्र और दक्षिण दिशा में नेगेटिव चुम्बकीय क्षेत्र होता है. जबकि मानव शरीर में नेगेटिव चुम्बकीय क्षेत्र सिर की तरफ और पॉजिटिव चुम्बकीय क्षेत्र पैर की तरफ होता है.


जब व्यक्ति उत्तर की तरफ सिर करके सोता है और वह कम से कम 5- 6 घंटे उस तरह से रहता है, तो ऐसे में पृथ्वी के चुंबकीय खिंचाव से आपके मस्तिष्क पर दबाव पैदा हो सकता है. क्योंकि चुम्बकत्व के नियमनुसार, असमान चुम्बकीय क्षेत्र (निगेटिव और पॉजिटिव) आपस में आकर्षित होते हैं जबकि समान चुम्बकीय क्षेत्र (निगेटिव –निगेटिव या पॉजिटिव- पॉजिटिव) एक दूसरे से प्रतिकर्षित होते हैं.


पृथ्वी के चुंबकीय खिंचाव से मस्तिष्क पर दबाव पैदा होने के कारण यदि रक्त वाहिकाएं कमजोर हैं, तो व्यक्ति को हीमरेज और लकवाग्रस्त स्ट्रोक हो सकता है. इस लिए व्यक्ति को उत्तर की दिशा में सिर करके नहीं सोना चाहिए.



 


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