Astrology: नीम का दातुन करने से मुख में राहु का कुप्रभाव होता है कम
Astrology: दातुन हमें पेड़ों की डालियों से मिलता है. न केवल आयुर्वेद, अपितु पुराणों और व्यवहार शास्त्रों में दातुन के बारे में कई विचार हैं.
Astrology: हमारे जीवन में जड़ी बूटियों एवं औषधियां बहुत महत्व है. भारत के लोग हमेशा से ही किसी भी कार्य को करने के लिए परंपरागत तरीकों को प्रयोग में लाते रहे है और आधुनिक समय में नेचुरल चीजों की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है, बिना केमिकल की नेचुरल चीजें स्वास्थ्य को ठीक रखने में अत्यधिक मददगार होती है.
नेचुरल चीजों का तेजी से उपयोग के अंतर्गत पुराने समय में दांतों की सफाई के लिए काम में लिए जाने वाला दातुन भी आज फैशन में आ हैं. यह एक औषधि के साथ-साथ माउथ फ्रेशनर का भी काम करता है. यह दांतों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. दातुन हमें पेड़ों की डालियों से मिलता है. न केवल आयुर्वेद, अपितु पुराणों और व्यवहार शास्त्रों में दातुन के बारे में कई विचार हैं. यदि दैनिक रूप से दातुन का प्रयोग किया जाए तो यह दांतों को रक्षा और मजबूती प्रदान करता है. भले ही बबूल के पेड़ से मिलने वाला दातुन कांटेदार, तीखा, कड़वा और अजीब से स्वाद वाला होता है, फिर भी इसे शुभ और रोगनाशक माना जाता है, क्योंकि यह हमारे दांतो के स्वास्थ्य को बेहतर रखता है. केवल बबूल ही नहीं बल्कि कई और पेड़ों की डालियों का प्रयोग दातुन के रूप में किया जाता है और सभी तरह के दातुनों के अपने-अपने लाभ भी होते हैं. जैसे मंदार की टहनी आंखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छी है, बिल्व की टहनी संपत्ति को बढ़ाने वाली होती है. पीपल की टहनी से किया गया दातुन कीर्ति और सम्मान प्रदान करने वाला होता है. कुन्द की टहनी करने से अनन्त धन की प्राप्ति के संयोग बनते है और नीम की टहनी से दातुन रोगों का नाश करने वाला होता है और पेट के लिए बहुत अच्छा माना जाता है.
आर्युवेद में विदित है कि जब भी किसी प्राकृतिक वस्तु का प्रयोग शुरु करे तो इस मंत्र को जरूर पढ़ें.
“आयुर्बलं यशो वर्चः प्रजाः पशुवसूनि च,
ब्रह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वं नो देहि वनस्पते.”
अर्थात् हे वनस्पती, आप मुझे लम्बी उम्र दें. बल दे. गौरव, तेज, संतान, धन संपदा, ब्रह्म तुल्य ज्ञान, प्रज्ञा और धारणा की शक्ति दीजियेगा. दातुन करने के कुछ नियम होते है. यदि इन नियमों का पालन करते हुए इसका प्रयोग किया जाए तो अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक होता है. दातुन करते समय मुंह पूर्व या उत्तर की ओर रखना चाहिए. साथ ही अगर इस बात का ध्यान रखा जाए कि दातुन करने से पहले ही एक-दो गिलास पानी पी लिया जाए तो मुंह में रखी रात भर की लार भी पेट में चली जाएगी, जो एसिडिटी का कम करने में अत्यधिक सहायक होती है
जो लोग उंगली से मंजन करते हैं उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि गुरु की उंगली से मंजन करने से बचना है. गुरु की उंगली अर्थात तर्जनी उंगली से मंजन नहीं करना चाहिए. मंजन करने के लिए मध्यमा अर्थात शनि की उंगली का प्रयोग उत्तम है.
जिनकी कुंडली के दूसरे भाव में राहु हो या राहु का प्रभाव हो उनको दातुन अवश्य करना चाहिए. क्योंकि दूसरी भाव मुख का होता है यहां राहु का होना मलिनता का सूचक है मुख में अनेक प्रकार की बीमारियां व बैक्टीरिया हो सकते हैं क्योंकि यह राहु के देन है.
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