Astrology: गुस्सा या क्रोध का परिणाम किसी के लिए कभी भी सुखद नहीं होता है. ज्योतिष में कुछ ऐसी राशियों के बारे में बताया गया है, जो गुस्सैल स्वभाव के होते हैं. इन्हें अपने गुस्से पर कंट्रोल करने की जरूरत है. अगर ये अपने गुस्से पर कंट्रोल नहीं रखेंगे तो इसका गंभीर और बुरा परिणाम भी भुगतना पड़ सकता है. जानते हैं किन राशियों को आता अधिक गुस्सा और क्यों.



  • मेष राशि (Aries): ज्योतिष के अनुसार, मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं, जो साहस, युद्ध, क्रोध आदि के कारक माने जाते हैं. इनकी कुंडली में मंगल की स्थिति शुभ होने पर जीवन में सब सामान्य रहता है. लेकिन कुंडली में अगर मंगल पीड़ित हो तो ऐसे लोगों को बहुत गुस्सा आता है और ये अपना बड़ा नुकसान करा लेते हैं.
    क्या करें: मेष राशि वालों को अपने क्रोध को कंट्रोल करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए और कुंडली में मंगल की शुभता के लिए उपाय करने चाहिए.

  • सिंह राशि (Leo): सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं. सूर्य की स्थिति जब शुभ होती है तो व्यक्ति बड़े से बड़ा पद हासिल करता है और उसे यश-सम्मान की प्राप्ति होती है. लेकिन सिंह राशि पर पाप ग्रह राहु-केतु की अशुभ दृष्टि पड़ने से ये क्रोधित हो जाते हैं और अपना नुकसान कर बैठते हैं.
    क्या करें: ज्योतिष के अनुसार, सिंह राशि वालों को गुस्से पर नियंत्रण रखना चाहिए. इसके लिए आपको उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए और रविवार के दिन नमक और मांसाहार भोजन का त्याग करना चाहिए.

  • वृश्चिक राशि (Scorpio): मेष की तरह की वृश्चिक राशि के स्वामी भी मंगल देव हैं. जब मंगल राहु के साथ आ जाते हैं तो अंगारक योग का निर्णाम होता है. ऐसे में व्यक्ति गुस्सैल हो जाता है और गलत कामों में फंस जाता है. ऐसे लोग अपना बड़ा नुकसान कर बैठते हैं.
    क्या करें: गुस्से पर काबू रखें और ज्योतिष की सलाह से मंगल की शुभता के लिए उपाय करें. इससे आप विवाद आदि से होने वाली हानि को कम कर सकते हैं.

  • मकर राशि (Capricorn): मकर राशि के स्वामी ग्रह शनि हैं, जिन्हें कर्म फलदाता और दंडाधिकारी कहा जाता है. शनि सभी ग्रहों के न्यायाधीश भी कहलाते हैं. ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शनि जब चंद्रमा या अन्य पाप ग्रह के संपर्क में आते हैं तो इससे इस राशि वालों को अधिक गुस्सा आता है और ऐसे लोग अक्सर मानसिक तनाव में रहते हैं.
    क्या करें: शनि के चंद्रमा में आने से विष योग बनता है. ऐसे में व्यक्ति को इस दोष को दूर करने के लिए शनि की पूजा करनी चाहिए, शिवजी का जालभिषेक करना चाहिए और हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए.


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