Astrology: कुंडली को 12 भागों में बांटा गया है. कुंडली का हर भाव महत्वपूर्ण है. हर भाव जीवन के अगल-अगल पहलुओं को दर्शाता है. जानते हैं ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का तीसरा भाव क्या बताता है.
कुंडली में मौजूद बारह भाव व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु और मृत्यु तक की जानकारी देते हैं.
तीसरे भाव का स्वामी ग्रह बुध (Mercury) हैं. बुध को अपनी संचार और बौद्धिक क्षमताओं के लिए जाना जाता है. तीसरा भाव (Third House) पराक्रम का होता है.
कुंडली (Kundli) का तीसरा भाव भाई-बहन और वीरता के बारे में बताता है. कुंडली में तीसरा (Kundli Third House) भाव संचार, यात्रा, भाई-बहन, बुद्धि, आदतें, रुचियां और झुकाव को नियंत्रित करता है.
लेकिन अगर आपके कुंडली के तीसरे भाव में अशुभ ग्रह हो तो यह आपको अशुभ फल प्रदान करता. जैसे अगर आपकी कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु हैं तो इसका विपरीत असर आपके जीवन पर देखने को मिलता है.
तीसरे भाव में मंगल का असर
साथ ही कुंडली का तीसरा भाव ये बताता है कि आपके संबंध आपके भाई-बहनों के साथ कैसे हैं, तीसरा भाव भ्रातृस्थान का प्रतीक है, जो छोटे भाई-बहनों के प्रति हमारे विचार को दर्शाता है. जो यह निर्धारित करता है कि हम लोगों के साथ कैसे जुड़ते हैं, भाई-बहनों के साथ-साथ साथियों या दोस्तों से भी. अगर इसका विपरीत असर हो अपने करीबियों को खासकर भाई-बहनों के साथ भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा मंगल के प्रभाव से हो सकता है. मंगल (Mangal) अक्सर भाई-बहनों के साथ समस्या का कारण हो सकता है.
तीसरे भाव में सूर्य का असर
कुडंली के तीसरे भाव में सूर्य (Surya) के प्रभाव से भाई का सुख कम मिलता है. सूर्य का प्रभाव मनु्ष्य को बलशाली बनाता है, पढ़ाई में अच्छा बनाता है, लेकिन वहीं अगर सूर्य पीड़ित होता है तो विपरीत प्रभाव देखने को मिलेंगे.
तीसरे भाव में केतु का असर
कुंडली के तीसरे भाव में केतु (Ketu) का प्रभाव भाई बहनों के साथ रिश्तों को खराब कर सकता है. इस भाव में केतु के प्रभाव से व्यक्ति टेंशन में भी रह सकता है. जिससे मानसिक तनाव जैसे परेशानियां हो सकती हैं.
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