(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, जानें क्यों और कैसे की जाती है मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा
Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या का भव्य रामलाल का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी के दिन होगी. आइए जानते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा क्या होता है.
Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. 22 जनवरी को रामलला को गर्भ गृह में स्थापित किया जाएगा. हर राम भक्त को इस दिन का लंबे समय से इंतजार था. अयोध्या में 22 जनवरी से लेकर 25 मार्च तक कई खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. किसी भी मंदिर में की जाने वाली भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का बहुत महत्व होता है. मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बिना भगवान का पूजन अधूरा माना जाता है. आइए जानते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा क्या होती है और यह कैसे की जाती है.
क्या होती है मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा?
सनातन धर्म में किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. प्राण प्रतिष्ठा मूर्ति स्थापना के समय किया जाता है. किसी भी मूर्ति की स्थापना के समय उस प्रतिमा रूप को जीवित करने की विधि प्राण प्रतिष्ठा कहलाती है. प्राण शब्द का अर्थ जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा का अर्थ स्थापना होता है. ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ जीवन शक्ति की स्थापना करना या देवता को जीवन में लाना होता है. बिना प्राण प्रतिष्ठा के कोई भी मूर्ति पूजा के योग्य नहीं मानी जाती है. मान्यता है कि प्राण प्रतिष्ठा के जरिए मूर्ति में जीवन शक्ति का संचार होता है और वह मूर्ति देवता के रूप में बदल जाती है.
प्राण प्रतिष्ठा के बाद कोई भी मूर्ति पूजा के योग्य बन जाती है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति रूप में उपस्थित उन देवी-देवताओं की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दौरान कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान हमेशा शुभ मुहूर्त मे ही किया जाता है.
प्राण प्रतिष्ठा की विधि
प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे पहले प्रतिमा को गंगाजल या किसी भी पवित्र नदियों के जल से स्नान करा कर उसे स्वच्छ कर लिया जाता है. इसके बाद किसी स्वच्छ वस्त्र से मूर्ति को पोछकर उसे नए वस्त्र पहनाए जाते हैं. इसके बाद प्रतिमा को शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर विराजित किया जाता है. उस पर चंदन का लेप लगाकर उसका श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद बीज मंत्रों का पाठ कर प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान किया जाता है. इपंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान की पूजा की जाती है. अंत में आरती के बाद लोगों में प्रसाद वितरित किया जाता है.
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