Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी कब? दूर करें हर कन्फ्यूजन, यहां जानें सरस्वती पूजा का सही मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय
Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा कब है? यदि इस तरह का कोई संशय है तो यहां पढ़े इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी, उपाय और सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2023) की विधि-

Basant Panchami 2023: खिले हुए सुन्दर रंग-बिरंगें पीले सरसों के फूलों की खेतों पर बिछी चादर, नदियों की कलकल, मौसम की सुहानी हलचल, पंख फैलाए नाचते सुन्दर मोर, ये सब देखकर लगता है कि प्रकृति कह रही हो कि ऋतुराज बसन्त का आगमन हो रहा है.
इसी बसंत में बसंत पंचमी को वाणी-विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा-आराधना के लिए विशेष है, जिसका सुखद एहसास सभी देवों, ग्रहों तक को हो, जिसका हर दिन दूध में बताशें की तरह धूल जाए फिर जिस बसंतोत्सव के अधिष्ठाता श्री कृष्ण हो, जिसके प्रमुख देवता कामदेव-रति हो, जिससे यह ऋतु कामदेव की सहचर मानी जाएं, उसके वर्णन में उसके प्रभाव तथा जो प्रकृति को पीले फूलों से श्रृंगारित कर दें अनगिनत शब्द भी कम होंगे.
ज्ञान प्राप्ति के लिए मां सरस्वती की ही पूजा क्यों कि जाती हैं?
जब देवी सरस्वती, श्रीकृष्ण को देखा तो वो उनके रूप पर मोहित हो गई और पति के रूप में पाने की इच्छा करने लगी और भगवान कृष्ण को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने कहा कि वे तो राधा के प्रर्ति समर्पित है. ऐसे में सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने वरदान दिया कि-विद्या की इच्छा रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को जो तुम्हारा पूजन करेगा, उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी. ऐसा वरदान देने के बाद स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने सर्वप्रथम देवी की पूजा की और तभी से विद्या आरम्भ से माँ सरस्वती की पूजा-उपासना का प्रचलन भी चल रहा है.
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बंसती पंचमी को लेकर दूर करें कन्फ्यूजन है
इस वर्ष बसंत पंचमी को लेकर कई लोगों में कन्फ्यूजन है कि बसंत पंचमी 25 को है या 26 को. बसंत पंचमी गुरुवार 26 जनवरी 2023 को ही है. क्योंकि सनातन धर्म में हर त्यौहार को उदयातिथि के अनुसार ही मनाया जाता है. और पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर गुरुवार 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी, इसलिए उदयातिथि के अनुसार बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जाएगी.
बसंत पंचमी इस बार खास
इस बार गुरुवार का दिन जो देवी माता सरस्वती का ही दिन है और इसी दिन बसंत पंचमी है, ऐसे में इस दिन देवी माता सरस्वती जल्द ही आसानी से प्रसन्न होकर अपने भक्तों को शीघ्र आशीर्वाद प्रदान करेंगी.
बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है यानी इस दिन किसी कार्य के लिए कोई मुहूर्त देखने की जरूरत नही है. बसंत पंचमी के दिन कोई भी नया काम शुरू किया जा सकता है.
लेकिन पूजा करने का सही समय सुबह 7 से 8 बजे तक शुभ का रहेगा. यह समय माँ शारदा की पूजा के लिए बेहद उत्तम है.
इस दिन दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक राहुकाल रहेगा. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करें. इससे पहले या बाद में कर सकते है.
शुभ योगों का बना है उत्तम संयोग
इस दिन एक नहीं कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है जो इस प्रकार हैं-
- शिव योग
- सिद्ध योग
- रवि योग
- सर्वार्थ सिद्धि योग
- वाशी योग
- सुनफा योग
- गजकेसरी योग
मान्यता है कि इन योगों में किए सभी कार्य सफल, संपन्न और सिद्ध होते हैं.
सरस्वती पूजन की विधि
बसंत पंचमी के दिन सबसे पहले उठकर सुबह में धरती माँ को स्पर्श कर नमन करें. फिर स्नानादि के बाद पीले रंग के कपड़े पहने, पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. इसके बाद माँ सरस्वती की प्रतिमा को गंगा जल से साफ करके पीले या सफेद रंग के ही कपड़े पहनाएं. फिर बाद मूर्ति पर चंदन का तिलक, हल्दी, फल, पुष्प, रोली, केसर और चावल अर्पित करें. माँ को बूंदी या बूंदी के लड्डू के साथ दही और हलवा का भोग लगाएं.
उपाय
मां शारदा के चरणों में कॉपी, पेन और पुस्तक रख ऊँ ऐं ऐं ऐं महासरस्वत्यै नमः का 108 जाप करना चाहिए. इससे बुद्धि का विकास होता है.
बसंत पंचमी के दिन ढाई से 3 साल के बच्चे जो अभी पढ़ना नहीं शुरू किए हैं, उनकी जीभ पर चांदी की कलम या फिर अनार की लकड़ी की कलम से ऊं लिखना चाहिए.
ऐसा करने से आपका बच्चा कुशाग्र बुद्धि वाला बनेगा और जीवन में सभी प्रकार की सफलताओं को प्राप्त करेगा.
बुध ग्रह का उपाय
यदि कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो या पढ़ाई में मन ना लगे-बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती का पूजन करके पीले पुष्प अर्पित करें चंदन की माला से ऊं ऐं सरस्वत्यै नमः मंत्र का 108 बार जाप करें.
सुबह उठकर करें इस मंत्र का जाप
अगर आप चाहते हैं कि देवी सरस्वती की आप पर हमेशा कृपा हो तो बसंत पंचमी के दिन सुबह उठकर सबसे अपने हथेली के मध्य भाग को देखें और एक बार कराग्रे वसते लक्ष्मीः, कर मध्ये सरस्वती. करमूले तू गोविंदः, प्रभाते कर दर्शनम.. क्योंकि हथेलियों के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी, मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में गोविन्द यानि ब्रह्मा जी का निवास है.
मंत्र उच्चारण समाप्त होते ही हथेलियों को परस्पर घर्षण करके उन्हें अपने चेहरे पर लगाएं. अब रोजाना इस प्रक्रिया को करें. इससे आपकी बुद्धि विकसित होगी और आप अपने भीतर एक पॉजिटिव एनर्जी महसूस करेंगे. क्योंकि जब दिन की शुरुआत ही भगवान के नाम से होगी तो दिन दिन भी मंगलमय ही होता है.
अगर आप बोलते समय डरते या घबराते हैं तो बसंत पंचमी के दिन सरस्वती बीज मंत्र क्लीं का 108 बार जाप करें. फिर इसे रोजाना करें, ऐसा करने से आपकी बोलने की क्षमता विकसित होगी. शास्त्रों में क्लीं कारी कामरूपिण्यै यानी क्लीं काम रूप में पूजनीय है. इसलिए वाणी मनुष्य की समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाली हो जाती है.
करियर और शिक्षा में देवी सरस्वती से सफलता पाने के लिए बसंती से शुरू करके रोजाना इस मंत्र का नित्य 108 जाप करें- ऊँ ऐं वाग्देव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि! तन्नो देवी प्रचोदयात.
सफलता पाने का उपाय
जो लोग नौकरी की तलाश में है या नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा-इंटरव्यू की तैयारी कर रहे है उन्हें सफलता प्राप्ति के लिए बसंत पंचमी के दिन 5 शमी के पते, 5 बेल पत्र, 5 मूंग के दाने और 5 सफेद पुष्प को शिवलिंग पर अर्पित करके एक लौटे में जल और काले तिल मिलाकर अभिषेक करें. अभिषेक करते समय अपना नाम और गौत्र का स्मरण करें. ऐसा आप 13 सोमवार नियमित रूप से करे.
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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