(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Buddha Amritwani: बुरा समय बीतने के बाद खुद आता है अच्छा समय, गौतम बुद्ध की इस कहानी से जानें जीवन में धैर्य का महत्व
Buddha Amritwani: जीवन में धैर्य जरूरी है. क्योंकि धैर्य की शक्ति से ही मानव जीवन सबल और सफल बनता है. धैर्य का जीवन में क्या महत्व है, इसे समझने के लिए गौतम बुद्ध की इस कहानी को जरूर पढ़ें.
Buddha Amritwani, Gautam Buddha Story: सफल व्यक्तियों, जानकार, गुरुजनों और अपने बड़े-बुजुर्गों को आपने अक्सर यह कहते हुए सुना होगा कि जल्दबाजी में किया गया कार्य घातक हो सकता है. इसलिए किसी भी कार्य में धैर्य की जरूरत होती है. क्योंकि धैर्य ऐसी शक्ति है, जिससे व्यक्ति की आत्मा सबल बनती है.
लेकिन आजकल लोगों में धैर्य नाम की चीज नहीं है. वे किसी भी कार्य को करने या किसी चीज को प्राप्त करने के लिए धैर्य नहीं रखते. बल्कि उन्हें हर चीज शीघ्र अतिशीघ्र चाहिए होती है. लेकिन वे इस बात को भूल जाते हैं कि यदि जल्दबाजी में कोई चीज मिल भी जाए तो जीवन में उसका महत्व शून्य के समान होता है. जीवन में धैर्य का क्या महत्व है और धैर्य क्यों जरूरी है इसे जानने के लिए आपको गौतम बुद्ध के जीवन से जुडी इस कहानी को जरूर जानना चाहिए.
धैर्य क्या है?
धैर्य के महत्व को जानने से पहले जानते हैं आखिर धैर्य है क्या? दरअसल घैर्य, धीरज, संतोष या सहनशीलता ऐसे गुणों में एक है जो हर किसी के पास नहीं होता है. धैर्यवान व्यक्ति वह है जो कठिन परिस्थिति में भी शांत रहकर सहन करते हुए उसे पार कर लेता है या सही समय आने का धैर्यपूर्वक इंतजार करता है.
धैर्य से जुड़ी गौतम बुद्ध की कहानी
गौतम बुद्ध एक बार शिष्यों के साथ गांव से शहर की ओर जा रहे थे. यात्रा करते हुए उन्हें और शिष्यों को थकान महसूस हुई. थकान मिटाने के लिए वे एक झील के पास रुक गए और एक शिष्य को प्यास बुझाने के लिए झील से पानी लाने को कहा.
शिष्य बर्तन में पानी लेने के लिए झील के पास गया. लेकिन जब झील के पास पहुंचा तो देखा कि, वहां कुछ लोग पानी में कपड़े धो रहे हैं और उसी समय एक बैलगाड़ी भी झील के किनारे आकर रूकी, जिससे कि सारा मिट्टी पानी में घुल गया और झील का पानी गंदा हो गया. शिष्य सोचने लगा कि इतना दूषित और गंदा पानी अपने गुरु के पीने के लिए कैसे लेकर जा सकता हूं. इसलिए वह बिना पानी लिए खाली हाथ ही लौट गया.
शिष्य ने गौतम बुद्ध से कहा- गुरुदेव! झील का पानी बहुत गंदा है और पानी पीने के योग्य नही है. साथ ही उसने पानी के गंदे होने के सभी कारण भी गौतम बुद्ध को बताए. गौतम बुद्ध ने कहा ठीक है कोई बात नहीं, कुछ देर यहीं आराम कर लेते हैं. लगभग आधा घंटा आराम करने के बाद गौतम बुद्ध फिर से उसी शिष्य को पानी लाने के लिए कहते हैं. शिष्य फिर से बर्तन लेकर झील के पास जाता है. लेकिन इस बार वह देखता है कि झील के पानी में कोई हलचल नही है और पानी भी एकदम साफ और पीने के योग्य है. जो मिट्टी पानी के ऊपर दिखाई दे रहा था वह भी अब झील की तली में बैठ गया. शिष्य बर्तन में पानी भरकर गौतम बुद्ध के पास जाता है.
बर्तन में साफ पानी देखकर गौतम बुद्ध शिष्य से कहते हैं- देखो कैसे मिट्टी भी अपने स्थान पर चली गई और पूरा पानी साफ व पीने के योग्य हो गया. हमें साफ पानी के लिए कोई प्रयास भी नहीं करना पड़ा. केवल अच्छे समय का इंतजार करना पड़ा और हमें अच्छा व साफ पानी मिल गया. इससे यह सिद्ध होता है की भले ही जीवन में कितना भी कठिन समय क्यूं न आए अगर थोड़ा देर ठहरकर उस मुश्किल समय के बीतने का इंतजार किया जाए तो आने वाला समय अपने आप ही अच्छा हो जाता है. इसलिए जीवन में धैर्य जरूरी है. गौतम बुद्ध की बात सुनकर शिष्य इस अमूल्य सीख को देने के लिए उनका धन्यवाद करता है.
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