Buddha Amritwani, Gautam Buddha aur Amrapali ki Kahani: भगवान गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी कई प्रेरणादायक कहानियां आपने सुनी होंगी. बुद्ध के विचारों से व्यक्ति का जीवन बदल जाता है. तभी तो अंगुलीमाल जैसा डाकू भी बुद्ध से मिलकर भिक्षु बन गया. गौतम बुद्ध से जुड़ी एक नहीं बल्कि कई कहानियां हैं. लेकिन भगवान बुद्ध और आम्रपाली की कहानी सबसे ज्यादा प्रलचित है.


आम्रपाली जिसे दुनिया की सबसे खूबसूरत वैश्या कहा जाता था. लेकिन जब आम्रपाली भी बुद्ध से मिली तो उनके विचारों से प्रभावित हो गई. इसके बाद अपनी धन-संपत्ति सबकुछ का त्याग कर आम्रपाली एक साधारण भिक्षुकी बन गई और संपूर्ण जीवन भिक्षुकी बनकर ही बिता दिया. जानते हैं गौतम बुद्ध और वैश्या आम्रपाली की ये कहानी.



बुद्ध और आम्रपाली की कहानी (Buddha and Amrapali Story)


इतिहास के पन्ने आपको बिहार के जिला वैशाली के राजाओं और नगरवधू आम्रपाली के किस्सों से भरे मिलेंगे. कहा जाता है कि एक गरीब दंपति को एक आम के पेड़ के नीचे कन्या मिली थी. उसके माता-पिता पता नहीं क्यों उसे पेड़ के नीचे रखकर चले गए थे. दंपति ने लड़की के माता-पिता के बारे में बहुत पता लगाया. लेकिन कुछ पता नहीं चला. इसके बाद गरीब दंपति ने ही उस कन्या का लालन-पालन किया और उसका नाम आम्रपाली रखा.


आम्रपाली बहुत ही रूपवान थी. जब आम्रपाली किशोरावस्‍था में पहुंची तो, पूरे नगर में उसके सौंदर्य की चर्चा होने लगी. इतना ही नहीं नगर का हर पुरुष उससे विवाह करना चाहता था. आम लोग से लेकर व्यापारी और राजा सभी उसे पाना चाहते थे. ऐसे में आम्रपाली के माता-पिता उसे लेकर काफी चिंतिंत रहते थे. क्योंकि आम्रपाली इनमें से किसी एक साथ भी विवाह कर लेती तो पूरे राज्य में अशांति फैल जाती.


नगर में शांति स्थापित करने के लिए वैशाली राज्य के प्रशासन ने आम्रपाली को क्रमानुसार अंत में नगरवधू बना दिया. आम्रपाली को साम्राज्य की सबसे खूबसूरत और प्रतिभाशाली महिला के रूप में जनपथ कल्याणी की उपाधि 7 साल के लिए दे दी गई. आम्रपाली को धन-आभूषण से लेकर अपना महल भी मिला. उसके इर्द-गिर्द सेविकाएं रहती थी. आम्रपाली को शारीरिक संबंध बनाने के लिए चयन का अधिकार भी प्राप्त थी. फिर वह राजा के दरबार की नर्तकी भी बन गई.


जब पहली बार आम्रपाली को हुए बुद्ध के दर्शन


ज्ञान प्राप्ति के पांच साल बाद गौतम बुद्ध बिहार के वैशाली में जब पहली बार आए थे तो उनके स्वागत के लिए वहां की प्रसिद्ध राजनर्तकी आम्रपाली गंडक नदी के तट पर पहुंची. आम्रपाली के सुंदर रूप और यौवन को देख बुद्ध ने अपने शिष्यों को आंखें बंद करने को कहा.  


कहा जाता है कि आम्रपाली एक बौद्ध भिक्षु पर मोहित भी हो गई थी. इसके बाद आम्रपाली ने बौद्ध भिक्षु को भोजन के लिए आमंत्रित किया और साथ ही 4 महीने प्रवास के लिए भी अनुरोध किया. लेकिन भिक्षु ने उसे साफ मना कर दिया और कहा कि गुरुजी की आज्ञा के बिना मैं ऐसा नहीं कर सकता.


आखिर में आम्रपाली ने बुद्ध के सामने हाथ जोड़कर कहा कि मैं आपके भिक्षु को मोहित नहीं कर पाई. बल्कि उसकी आध्यात्मिकता ने मुझे ही धर्म की राह पर चलने के लिए विवश कर दिया. इसके बाद आम्रपाली ने बुद्ध के सामने भिक्षुकी बनने की इच्छा प्रकट की. लेकिन पहले तो बुद्ध ने मना कर दिया. क्योंकि उस समय बौद्ध संघ में स्त्रियों का प्रवेश वर्जित था. हालांकि इस घटना के बाद बुद्ध ने स्त्रियों को बौद्ध संघ में प्रवेश की अनुमति दे दी. फिर आम्रपाली सामान्य बौद्ध भिक्षुकी बन गई और वैशाली नगर के हित के लिए कार्य करने लगी. उसने अपने केश कटवा लिए, सारा धन बांट दिया और भिक्षा पात्र लेकर सामान्य भिक्षुकी बनकर पूरा जीवन व्यतीत किया.


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