Budhaditya Rajyoga Effects: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर ग्रह समय-समय पर अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं. ग्रहों के इन राशि परिवर्तन से कई शुभ-अशुभ योग बनते हैं. इन्हीं में से एक है बुधादित्य योग जो किसी राशि में सूर्य और बुध के एकसाथ आने से बनता है. बुध 20 फरवरी को कुंभ राशि में गोचर करेंगे जहां सूर्य देव पहले से ही विराजमान हैं. एक ही राशि में सूर्य और बुध के होने से बुधादित्य राजयोग बनेगा.
ज्योतिष में बुध और सूर्य की युति
ग्रहों के राजकुमार बुध बुद्धि,ज्ञान,बेहतर तर्क क्षमता और अच्छे संचार कौशल के कारक माने जाते हैं. उन्हें देवताओं का दूत भी कहा जाता है. यह ग्रह तर्क और बुद्धि से जुड़ा हुआ है. बुध ग्रह हमारी वाणी को भी नियंत्रित करता है. कुंडली में जब बुध ग्रह सकारात्मक स्थिति में होता है तो खूब लाभ कमाता है. वहीं दूसरी तरफ सूर्य को पिता का कारक माना जाता है. सूर्य बुध के साथ मित्रता का भाव रखता है. यह दोनों ग्रह जब साथ मिलते हैं तो बेहद अनुकूल परिणाम देते हैं.
कब बनता है बुधादित्य योग?
बुधादित्य योग तब बनता है जब बुध और सूर्य दोनों ही ग्रह एक ही घर में स्थित होते हैं. यह योग चाहे किसी भी राशि में बने लेकिन जिस घर में बनता हो वो महत्वपूर्ण माना जाता है. इन दोनों ग्रहों के बीच दोस्ती का रिश्ता है. यह दोनों ग्रह साथ में मिलकर बेहद शुभ और लाभकारी परिणाम देते हैं. इन दोनों ग्रहों के मिलने से जातक व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में ढेर सारी सफलता हासिल करता है. यह योग सबसे उत्तम तब माना जाता है जब बुध सूर्य के पीछे 15 डिग्री पर होता है.
बुधादित्य योग ऐसे कराता है लाभ
सूर्य की कृपा से जीवन में राजसी सुख-सुविधाएं आती हैं वहीं बुध व्यक्ति को चतुर और सफल व्यवसायी बनाता है. इन दोनों से बनने वाला बुधादित्य योग व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार की सुख, सुविधा और समृद्धि प्रदान करता है. इस शुभ योग के प्रभाव से जातक ऊर्जावान और मानसिक रूप से मजबूत बनता है. जिस जातक की कुंडली में यह योग बनता है उसे सारी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं.
बुधादित्य योग व्यक्ति को अच्छी शिक्षा और बौद्धिक कौशल प्राप्त कराता है. इसकी वजह से व्यक्ति का दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक रहता है. यह जातक को मेहनती और आत्मविश्वासी बनाता है. इसके शुभ प्रभाव से जातक अपने सभी कर्तव्य और जिम्मेदारियों को पूरा करने में कामयाब रहता है. ऐसे व्यक्तियों का जीवन हमेशा समृद्ध रहता है.
बुधादित्य योग के नियम
बुधादित्य योग बनने के भी कुछ खास नियम हैं. यह योग तभी बनता है जब सूर्य और बुध दोनों ही ग्रह शुभ भाव में स्थित हों. यह ग्रह छह, आठवें या 12वें भाव में नहीं होने चाहिए और सूर्य और बुध की नीच राशि तुला और मीन में नहीं होना चाहिए. इस योग का निर्माण केंद्र और त्रिकोण भाव में होना चाहिए. बुध के साथ मिलकर सूर्य अच्छे परिणाम देता है लेकिन अगर शुभ सूर्य अशुभ बुध के साथ युति में हो तो पितृ दोष बनता है.
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