Chaitra Amavasya 2024: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या, चैत्र अमावस्या कहलाती है. हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन स्नान, दान और कई धार्मिक कार्य किये जाते हैं. चैत्र अमावस्या के दिन पूर्वजों की भी पूजा करने का विधान है.


चैत्र अमावस्या के दिन कई धार्मिक कार्य किये जाते हैं. चैत्र अमावस्या के दिन व्रत रखने से न सिर्फ पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है बल्कि व्रत करने वालों को भी बहुत लाभ मिलता है.  इस बार चैत्र अमावस्या 8 अप्रैल, सोमवार के दिन  है. यह अमावस्या कई मायनों में खास रहने वाली है. जानते हैं इसके बारे में.


अप्रैल की अमावस्या है खास



8 अप्रैल की चैत्र अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण रहने वाली है क्योंकि इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण 8 अप्रैल की रात में लगेगा. यह ग्रहण रात 9 बजकर 12 मिनट पर शुरू होकर और मध्य रात्रि 01 बजकर 25 मिनट पर खत्म होगा.


कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण


यह सूर्य ग्रहण को पश्चिमी यूरोप पेसिफिक,अटलांटिक,आर्कटिक मेक्सिको,कनाडा,मध्य अमेरिका,दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों में, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र और आयरलैंड में दिखाई देगा. अमेरिका के उत्तरी हिस्से में यह पूर्ण सूर्य ग्रहण स्पष्ट तौर पर दिखाई देगा. 


सूर्य ग्रहण को लेकर अमेरिका परेशान


विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के कुछ हिस्सों में इस सू्र्य ग्रहण की हानिकारक किरणें सबसे ज्यादा प्रभावी होंगी. ऐसे में वहां सुरक्षा के खास इंतजाम किए जा रहे हैं. बच्चों को सूर्य ग्रहण के हानिकारक किरणों से बचाने के लिए अमेरिका के कई राज्यों में 8 अप्रैल को स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया गया है. 


सूर्य ग्रहण के दौरान वहां की हानिकारक किरणों से बचने के लिए वहां की सरकार ने अपने नागरिकों को इस दिन घर में ही रहने की अपील की है. सरकार ने लोगों से खाना और गैस जैसी सारी जरूरी चीजों को स्टॉक कर लेने को कहा है ताकि ग्रहण के समय लोगों को घर से बाहर न निकलना पड़े. 


सूर्य ग्रहण को लेकर भारत है निश्चिंत


इस सूर्य ग्रहण से अमेरिका भले ही चिंतित हो लेकिन भारत बिल्कुल निश्चिंत है. इसकी वजह ये है कि 8 अप्रैल को अमावस के दिन लगने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा.  यहां दिखाई न देने के कारण लोगों पर ग्रहण का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होगा. यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई ना देने की वजह से इसका कोई धार्मिक महत्व नहीं होगा. इसलिए इसका सूतक काल भी नहीं माना जाएगा.


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