Chaitra Maas: आज से चैत्र मास की शुरुआत हो रही है. फाल्गुन मास साल का आखिरी माह होता है. चैत्र माह को मधुमास भी कहा जाता है. चित्रा नक्षत्र की पूर्णिमा के कारण ही इस महीने को चैत्र का महीना कहा जाता है. माना जाता है कि चैत्र मास में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी. इस महीने में भगवान विष्णु के मछली स्वरूप की पूजा की जाती है.
सनातन धर्म में इसर महीना का बहुत महत्व माना जाता है. इस महीने में चैत्र नवरात्रि, रामनवमी, पापमोचिनी एकादशी और हनुमान जयंती जैसे कई बड़े व्रत-त्योहार आते हैं. आज 26 मार्च से शुरु होकर चैत्र मास 23 अप्रैल को समाप्त होगा. इस माह में भगवान विष्णु की खास पूजा-अर्चना की जाती है. इस महीने से जुड़े खास नियम होते हैं. आइए जानते हैं कि चैत्र मास में कौन से काम नहीं करने चाहिए.
चैत्र मास में भूलकर भी न करें ये काम
- चैत्र माह में गलती से भी मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. माना जाता है कि इस पूरे महीने मांसाहार भोजन करने से माता लक्ष्मी की नाराजगी झेलनी पड़ती है. इस माह तामसिक भोजन करने वाले व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
- चैत्र माह में गुड़ का सेवन न करने की सलाह दी जाता ही. गुड़ की तासीर गर्म होती है. माना जाता है कि इस महीने में गर्मी बढ़ने के कारण इस माह में गुड़ का सेवन सेहत के लिए हानिकारक साबित होता है.
- चैत्र माह में प्याज और लहसुन का सेवन करने से बचना चाहिए. माना जाता है कि चैत्र का महीना मां दुर्गा को समर्पित होता है. इसलिए इस महीने में प्याज-लहसुन के सेवन से बचना चाहिए. चैत्र का महीना बहुत पवित्र होता है इसलिए इस महीने किसी भी तरह के नशे से दूर रहना चाहिए.
- इस महीने में चमड़े से बनी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. चमड़ा जानवरों की खाल से बनता है इसलिए चैत्र महीने में चमड़े की चीजों के इस्तेमाल की मनाही होती है. इस महीने चमड़े का इस्तेमाल करना बहुत अशुभ माना जाता है.
- चैत्र के महीने बाल नहीं कटवाने चाहिए. इस महीने बाल कटवाने से मनुष्य की मति भ्रमित हो जाती है. इससे घर की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है. इसके अलावा, इस महीने न तो नाखून काटने चाहिए और न ही पुरुषों को दाढ़ी बनवानी चाहिए.
- इस महीने क्रोध और अहंकार की भावना से दूर रहना चाहिए. इस पूरे महीने सच्चे मन से भगवान की आराधना और भक्ति करनी चाहिए. माता रानी की कृपा से इस महीने पूजा-पाठ करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
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