Mahashtami 2023 Puja: चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 29 मार्च को मनाई जाएगी. अष्टमी के दिन माता के महागौरी रूप की पूजा की जाती है. जैसा की नाम से ही जाहिर है, इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण का है. इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है. माता महागौरी के भी आभूषण और वस्त्र सफेद रंग के हैं.
इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है. इनकी 4 भुजाएं हैं. इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है जबकि नीचे वाले हाथ में मां ने त्रिशूल धारण किया हुआ है. ऊपर वाले बांये हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. इनका वाहन वृषभ है इसीलिए माता के इस रूप को वृषारूढ़ा भी कहा गया है.
ऐसे पड़ा मां गौरी का नाम महागौरी
अष्टमी के दिन माता के महागौरी रूप की पूजा करते हैं. इस दिन महागौरी की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भोलेनाथ को पाने के लिए मां गौरी ने सालों तक कड़ी तपस्या की थी. इस घोर तप में मां गौरी धुल-मिट्टी से ढंक गयी थीं. इसके बाद शिव जी ने स्वयं अपनी जटाओं से बहती गंगा से मां के इस रूप को साफ किया था. माता के रूप की इस कांति को शिवजी ने पुनर्स्थापित किया इसी कारण उनका नाम महागौरी पड़ा.
अष्टमी के दिन क्यों होती है महागौरी की पूजा
पुराणों के अनुसार माता दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिन तक युद्ध कर उसे हराया था. इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों तक उनकी पूजा की जाती है. माना जाता है कि अष्टमी के दिन ही माता ने चंड-मुंड राक्षसों का संहार किया था. इसलिए इस दिन की पूजा का खास महत्त्व माना जाता है. अष्टमी के दिन को कुल देवी और माता अन्नपूर्णा का दिन भी माना जाता है.
इसी कारण से माना जाता है कि इस दिन देवी की पूजा करने से आपके कुल में चली आ रही मुसीबतें और परेशानियां कम होती हैं और आने वाले कुल की रक्षा होती है. अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में धन-धान्य और सौभाग्य बना रहता है.
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