Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि एक ऐसा समय है, जब मां भगवती के नव दुर्गा स्वरूपों की पूजा-अर्चना का विशेष समय होता है. यह शक्ति की पूजा करने का समय है जिससे जीवन में सुख और शांति मिलती है और सभी अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है. नवरात्रि में मन हर्षित और पल्लवित होता है और मां भगवती की कृपा प्राप्त करने का सबसे सही समय यही होता है.


चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि का प्रारंभ होता है और इसी दिन कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना के साथ ही शैलपुत्री माता की पूजा शुरू हो जाती है और इस प्रकार लगातार नौ दिनों तक नवरात्रि के व्रत रखकर दशमी तिथि को दुर्गा विसर्जन किया जाता है.



नवरात्रि में पंचक


इस बार नवरात्रि 22 मार्च 2023 से प्रारंभ होने जा रही है और इसी दिन कलश स्थापना भी होगी. 19 मार्च 2023 रविवार के दिन से पंचक प्रारंभ हो चुके हैं. रविवार के दिन शुरू होने के कारण यह रोग पंचक कहलाते हैं. अब प्रश्न यह उठता है कि क्या पंचकों में कलश स्थापना की जा सकती है या नहीं?‌ इसका सीधा और स्पष्ट उत्तर है कि हां! बिल्कुल की जा सकती है और रोग पंचक के दौरान ही कलश स्थापना की जाएगी क्योंकि पंचक सभी कार्यों के लिए अशुभ फलदायक नहीं होता बल्कि कुछ विशेष कार्यों के लिए ही पंचक लगना अशुभ फलदायक माना जाता है. वैसे भी नवरात्रि एक महान शक्ति प्राप्ति का समय है, जब मां दुर्गा की प्रार्थना की जाती है. ऐसे में और भी शुभता प्राप्त होने के योग बन सकते हैं.


इस बार नवरात्रि का पर्व 22 मार्च 2023 दिन बुधवार के दिन होने के कारण माता का वाहन नाव होगा. नौका पर सवार होकर माता आएंगी और वह सभी के लिए सुख और शांति लेकर आएंगी.


घटस्थापना मुहूर्त


चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 की रात्रि 10:52 पर शुरू हो जाएगी और 22 मार्च 2023 की रात्रि 8:20 तक रहेगी इसलिए घट स्थापना 22 मार्च 2023 बुधवार के दिन होगी. इस चैत्र नवरात्रि की घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 6:24 से प्रातः काल 7:31 तक रहेगा.


घटस्थापना में विशेष रूप से जटा वाले नारियल को चुन्नी में बांधकर कुछ दक्षिणा अर्पित करके कलश की स्थापना करें.


इसी समय पर जौ भी बोये जाते हैं जो कि जीवन में वृद्धि और सफलता का संकेत लेकर आते हैं.


आप वैसे तो नवरात्रि के नौ व्रत रखने का मुख्य रूप से विधान है लेकिन आप यदि व्रत रखने में सक्षम ना हों तो प्रथम और अंतिम दो व्रत भी रख सकते हैं. नवरात्रि के व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है इसलिए व्रत के दिन एक समय कुट्टू या सिंघाड़े के आटे का सेवन या समा के चावल को ग्रहण किया जाता है. इस दौरान विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए और यदि आप ऐसा करने में सक्षम ना हों तो किसी योग्य ब्राह्मण के द्वारा भी आप इसका पाठ करा सकते हैं. यदि पूरा दुर्गा सप्तशती का पाठ करना संभव ना हो तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने मात्र से दुर्गा सप्तशती का पूरा फल प्राप्त हो जाता है.


नवरात्रि पर शुभ योग


इस बार नवरात्रि की शुरूआत में ही कई शुभ योग बन रहे हैं. नवरात्रि का प्रारंभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में होगा जो कि सुख और सौभाग्य देने वाला नक्षत्र माना जाता है. इसके साथ ही शुक्ल योग में नवरात्रि की घट स्थापना करना विशेष फलदायक होगा. 


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