Chanakya Niti: सीखने की कोई उम्र नहीं होती. घर के बड़े बुजुर्ग, गुरू, मित्र आदि कई लोग ऐसे होते हैं जो हमें कदम-कदम पर सही रास्ता दिखाते हैं. जिस तरह ये लोग हमें जीवन जीने का पाठ पढ़ाते हैं, उसी तरह जानवर भी व्यक्ति को कई सीख देते हैं. लेकिन शायद हम उसे गंभीरता से नहीं लेते. आचार्य चाणक्य के अनुसार इस धरती पर ऐसा कोई जीव नहीं जिसे ईश्वर ने बिना गुणों के पृथ्वी पर भेजा हो. चाणक्य ने श्लोक के जरिए एक गधे से क्या सीखना चाहिए वो बताया है. जिंदगी में सफल होना चाहते हैं तो गधे की इन 3 गुणों को जरूर अपनाएं.


श्लोक


सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति।


सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात्॥


संतुष्ट रहना


जो प्राप्त है वही प्रर्याप्त है.ये खुशहाल जीवन जीने का सबसे बड़ा मंत्र है इसे जीतनी जल्दी अपना लें उतना अच्छा होता है.जो हमारे पास है उसमें संतुष्ट रहना चाहिए. होड़ की दौड़ में हिस्सा न लें.लालच को खुद पर हावी न होने दें. ऐसा करने से आप हमेशा परेशान रहेंगे और खुशियां कभी आपके द्वार नहीं आएंगी.


आलस्य न करें


अगर किसी व्यक्ति को बुद्धिमान बनने के साथ-साथ हर काम में सफल होना है तो कभी किसी काम को लेकर आलस्य न करें. जैसे गधा थक जाने के बाद भी बोझ ढोता रहता है.उसी प्रकार मन लगाकर अपने कार्य को पूरा करना चाहिए.आलसी होने से व्यक्ति कार्य को टालता जाता है और उसे कभी खत्म नहीं कर पाता.


मौसम में खुद को ढालना


गधे को ठंडे-गर्म का फर्क नहीं पड़ता. वो मौसम के अनुसार खुद को ढाल लेता है और मजबूती से काम करता है.वैसे ही मौसम का बहाना कर किसी भी कार्य को कल पर छोड़ना ठीक नहीं होता. कॉम्पटीशन के इस दौर में ऐसा करना व्यक्ति अच्छे अवसर का खोने जैसा है. इससे उसका नुकसान ही होगा. सफल होने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. जो व्यक्ति हर कदम पर मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार होता है सफलता उसके कदम चूमती है.


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