Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार शत्रु को कभी कमतर नहीं आंकना चाहिए. शत्रु आपकी हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर नजर रखता है. आपकी थोड़ी सी भी चूक, शत्रु के लिए बड़ा अवसर साबित हो सकती है. शत्रु को यदि पराजित करना है तो आचार्य चाणक्य की इन बातों का हमेशा ध्यान रखें-
क्रोध का त्याग करें
चाणक्य नीति कहती है कि क्रोध करने वाला व्यक्ति सही और गलत का भेद कभी-कभी भूल जाता है. क्रोध में की गई गलती शत्रु के लिए एक सुनहरा मौका साबित हो सकती है. क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है. इससे दूर ही रहना चाहिए.
अहंकार करने वालों को शत्रु जल्द पराजित करता है
चाणक्य नीति के अनुसार अहंकार से दूर रहना चाहिए. अहंकार नाश का कारण बनता है. अहंकार मे व्यक्ति दूसरों का सम्मान भूल जाता है, जिस कारण वो अपने शुभ चिंतकों से भी संबंध खराब कर लेता है. अहंकार करने वाले व्यक्ति को सम्मान नहीं मिलता है. शत्रु इस अवगुण का लाभ उठाता है. इसलिए अहंकार का त्याग करना चाहिए. और विनम्रता को अपनाना चाहिए.
गलत संगत जितनी जल्दी हो सके त्याग देना चाहिए
चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य को सदैव अपनी संगत का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अपने आसपास ऐसे लोगों को रखना चाहिए जो सही समय पर उसे सही सलाह प्रदान करें. जब आसपास स्वार्थी और लोभी स्वभाव के लोगों को एकत्र करने लगते हैं तो जीवन में हानि उठाना तय है. इसलिए मनुष्य को अपनी संगत पर विशेष ध्यान चाहिए. विद्वान, शिक्षित और अनुभवी व्यक्तियों की संगत करनी चाहिए. यदि ऐसा कर पाते हैं तो शत्रु आपको कभी पराजित नहीं कर पाएगा.