Chanakya Niti Hindi: चाणक्य को ज्ञान के साथ जीवन के सुख और दुख का गहरा अनुभव था. किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए आचार्य चाणक्य ने ज्ञान को अनुभव की कसौटी पर भी कसा. चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में उन बातों को अधिक वरियता दी जो मनुष्य को सबसे अधिक प्रभावित करती है. चाणक्य ने अपने जीवन में हर उस विषय को गंभीरता से जानने और समझने की कोशिश की जो उसके जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव डालती है. 


चाणक्य की मानें तो जीवन में यदि सफलता प्राप्त करनी है तो शत्रुओं को लेकर सदैव सावधान और सजग रहना चाहिए. सफल व्यक्ति के ज्ञात और अज्ञात शत्रु होते हैं, ये एक स्वाभाविक बात है. जहां पर प्रतियोगिता होती है, वहां पर प्रतिद्वंदी होना लाजमी है. प्रतिद्वंदी हमेशा आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं. इनसे भयभीत नहीं होना चाहिए. शत्रु और प्रतिद्वंदी में कुछ समानताएं पाई जाती हैं, इनका मकसद आपकी प्रगति को प्रभावित करना होता है. इसलिए सजगता ही इस समस्या से बचाती है.


शत्रु को कभी कमजोर न समझें
चाणक्य के अनुसार शत्रु को कभी कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए. शत्रु की हर गतिविधि की जानकारी होना आवश्यक है. प्रतिक्रिया कब देनी है इसकी रणनीति भी आपके पास होनी चाहिए. यदि इन बातों का ध्यान रखते हैं, तो शत्रु हानि नहीं पहुंचा सकता है.


वाणी और विनम्रता को अपनाएं
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को अपनी दो चीजों पर विशेष ध्यान देना चाहिए. चाणक्य के अनुसार दूषित वाणी और खराब आचरण शत्रुओं की संख्या में वृद्धि करता है. इसलिए वाणी को मधुर और स्वभाव में विनम्रता को अपनाना चाहिए.


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