Chanakya Niti : चाणक्य की ये 6 बातें, शरीर को बिना अग्नि के ही जला देती हैं
Chanakya Niti For Motivation : चाणक्य नीति के अनुसार जीवन में कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए. चाणक्य की इन बातों का जो ध्यान नहीं रखता है, उसे कष्ट उठाने पड़ते हैं.
Chanakya Niti For Motivation : चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ राजनीति, कूटनीति, समाज शास्त्र आदि जैसे महत्वपूर्ण विषयों की भी जानकारी थे. चाणक्य के अनुसार मनुष्य को कुछ बातों का जीवन में हमेशा ध्यान रखना चाहिए. इन बातों का ध्यान रखने से कष्ट और दुखों से दूर रहा जा सकता है. इस बात को समझने के लिए चाणक्य नीति के इस श्लोक को समझना चाहिए-
कान्ता वियोगः स्वजनापमानि । ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।।
कदरिद्रभावो विषमा सभा च । विनाग्निना ते प्रदहन्ति कायम् ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ ये है कि पत्नी का वियोग होना, अपने ही लोगों द्वारा बेइज्जत होना. कर्ज, दुष्ट राजा की सेवा करना. गरीबी और कमजोर लोगों की सभा, ये छह बातें शरीर को बिना अग्नि के ही झुलसा यानि जला देती हैं. चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि जिस व्यक्ति की पत्नी छोड़कर चली जाती है, उसका दर्द वही समझ सकता है. ये एक गंभीर परिस्थिति होती है. वहीं व्यक्ति अपनों द्वार जब बेइज्जत होता है तो ये बहुत बड़ा कष्ट होता है. ये एक ऐसी पीड़ा होती है जो जिसे भूला पना मुश्किल होता है. इससे भी अधिक कष्टकारी दुष्ट राजा की सेवा करना होता है. इसके साथ ही चाणक्य की इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए-
दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः ।
यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नरःशीघ्रं विनश्यति ।।
चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ ये है कि जो व्यक्ति गलत लोगों की संगत करता है. दुष्ट लोगों के साथ उठता-बैठता है और बुरे कार्यों को करने वाले से मित्रता करता है तो ऐसे व्यक्ति को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता है.
चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बताना चाहते हैं कि मनुष्य को अपनी संगत पर विशेष ध्यान देना चाहिए जो लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं, उन्हें आगे चलकर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं. चाणक्य की इन बातों में ही जीवन की सफलता का राज भी छिपा हुआ है.