Chanakya Niti: पिछले जन्म के पुण्य से मिलते हैं ये 6 सुख, हर किसी के पास नहीं होते
Chanakya Niti: चाणक्य नीति यही कहती है कि पिछले जन्म के पुण्य की वजह से हमें कुछ खास चीजें वर्तमान जीवन में जरूर मिलती हैं.
Chanakya Niti: वर्तमान में जो हमे सुख-दुख मिल रहे हैं वो पिछले जन्म के कर्म के आधार पर तय किए जाता है. पिछले जन्म के कर्म के हिसाब से वर्तमान में गर्भ के समय ही आपकी तकदीर लिख दी जाती है. चाणक्य नीति भी यही कहती है कि पिछले जन्म के पुण्य की वजह से हमें कुछ खास चीजें वर्तमान जीवन में जरूर मिलती हैं. चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के दूसरे ही श्लोक में आचार्य चाणक्य ने छह तरह के सुख बताए हैं जो हर किसी को नहीं मिलते. आइए जानते हैं कौन से हैं वो 6 तरह के सुख.
भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर वरांगना।
विभवो दानशक्तिश्च नाऽल्पस्य तपसः फलम्॥
भोजन
इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य ने बताया है कि अच्छा खाना मिलना बेहतर जिंदगी की निशानी होती है.भाग्यशाली लोगों को ही अच्छा भोजन नसीब होता है. जिस वक्त जो खाने का मन हो और वो मिल जाए तो इससे बड़ा सुख नहीं हो सकता.
पाचन शक्ति
उत्तम भोजन मिलना ही सब कुछ नहीं होता. इसे पचाने की शक्ति भी होना चाहिए. कई बार हमें अच्छा खाना तो मिल जाता है लेकिन चाहकर भी हम उसे खा नहीं पाते. जैसे बीमार व्यक्ति अच्छा भोजन ग्रहण करने की क्षमता नहीं रख पाता क्योंकि उसकी पाचन शक्ति कमजोर होती है. वो लोग भाग्यशाली होते हैं जिनमें खाने के साथ पचाने की क्षमता होती है.
जीवनसाथी
वर्तमान जीवन में गुणवान जीवनसाथी मिलना सबसे बड़ा सुख है. जिन लोगों के पास समझदार और गुणी लाइफ पार्टनर हो वो किस्मत के धनी होते हैं.शास्त्रों में कहा गया है कि पिछले जन्म में स्त्री का अपमान करने वालों का दांपत्य जीवन हमेशा कष्ट में होता है.
धन का सही उपयोग
चाणक्य कहते हैं कि सिर्फ धनवान होना ही जरूरी नहीं, पैसों का सही इस्तेमाल करने की जानकारी भी होना चाहिए.ये गुण उन्हीं लोगों को मिलता है जिसने पूर्वजन्म में पुण्य किए हों.
काम
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए अच्छी काम शक्ति का होना जरुरी है.चाणक्य कहते हैं कि किस्मत वालों को काम शक्ति मिलती है लेकिन व्यक्ति को खुद पर इसे हावी नहीं होने देना चाहिए. चाणक्य का मानना है कि काम के वश में रहने वाला व्यक्ति जल्दी बर्बाद हो जाता है.
दान
इस कलयुग में धनी लोगों की कमी नहीं है लेकिन दान देने का स्वभाव बहुत ही कम लोगों में है.चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति में यह गुण भी पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर मिलता है.
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