Chanakya Niti: चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में निजी जीवन, नौकरी, व्यापार, रिश्तें, मित्रता, शत्रु आदि जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए हैं. चाणक्य कहते हैं कि हमें मनुष्य जीवन मिला है तो उसे सार्थक बनाना चाहिए. हर इंसान की तरक्की इस बात पर निर्भर करती है कि वो किस तरह की जगह पर रह रहा है. चाणक्य ने बताया है कि अगर व्यक्ति बिना सोचे-समझे किसी भी जगह बस जाते हैं तो मुश्किलें शुरू हो सकती हैं. चाणक्य के अनुसार इन 5 जगहों पर एक दिन भी नहीं रुकना चाहिए.


यस्मिन देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बांधव:।


न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।


मान-सम्मान


चाणक्य नीति के अनुसार, जिस जगह पर सम्मान न मिले या कोई आदर न करे, ऐसी जगह पर कभी नहीं रहना चाहिए. मान-प्तिष्ठा पाने में व्यक्ति को कई साल लग जाते हैं. जहां आपका अनादर हो वो जगह व्यक्ति रहने लायक नहीं हो सकती. इससे उसकी छवि खराब हो सकती है.


रिश्तेदार


चाणक्य ने श्लोक के माध्यम से बताया है कि जिस जगह पर आपका कोई रिश्तेदार या कोई दोस्त भी न रहता हो उस स्थान का तुरंत त्याग कर देना चाहिए. क्योंकि जरुरत पड़ने पर अपने ही साथ खड़े होते हैं. इसलिए ऐसी जगह रहें जहां आपके हितैशी हों.


रोजगार


आजीविका के लिए जरूरी है रोजगार, धन कमाने का जरिया जहां न मिले वहां से हट जाना ही बेहतर है. क्योंकि अच्छे भविष्य के लिए धन की आवश्यकता होना बेहद जरूरी है.


शिक्षा


चाणक्य नीति के अनुसार जिस जगह पढ़ाई-लिखाई को महत्व न मिलता हो, शिक्षा के साधनों की कमी हो, उस जगह पर कभी भी नहीं रहना व्यर्थ है. क्योंकि ज्ञान के बिना जीवन अधूरा है. ऐसे स्थान पर बच्चों का जीवन भी प्रभावित होता है.


गुण


समय के साथ मानसिक विकास बहुत जरुरी है. सीखने से ही बुद्धि में वृद्धि होती है. जिस जगह आपके सीखने लायक कुछ न हो उस स्थान को त्यागना ही अच्छा है. क्योंकि इससे आपका विकास रुक सकता है और बाकियों से आप पीछे रह सकते हैं.


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