Chandra Grahan 2021 in India Date and Time: सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना गया है. सूर्य ग्रहण और चद्र ग्रहण का प्रभाव देश दुनिया पर तो पड़ता ही है, इसके साथ ही मेष, वृष, मिथुन, कर्क समेत सभी 12 राशियों पर भी इसका असर होता है.


चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण को लेकर पौराणिक मान्यता है कि राहु और केतु के कारण ग्रहण की स्थिति बनती है. एक कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन की प्रक्रिया चल रही थी तो, इसमें से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई है. समुद्र मंथन से विष और अमृत कलश निकला. भगवान शिव ने विष को अपने गले में उतार लिया, अमृत को प्राप्त करने के लिए देवताओं और असुरों में भयंकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है. तब भगवान विष्णु ने इस विवाद को सुलझाने और देवताओं को अमृत पीलाने के लिए मोहिन रूप धारण किया. असुर भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को समझ नहीं पाए और उनकी बातों में आ गए. भगवान ने अमृत कलश लेकर देवताओं को अमृत पीला दिया लेकिन स्वरभानु नाम का एक असुर, भेष बदलकर देवताओं की पंक्ति में जा बैठे और अमृत पीने लगा. 


चंद्रमा और सूर्य ने स्वरभानु को पहचान लिया और इसकी खबर भगवान विष्णु को दे दी. भगवान विष्णु ने तुरंत सुर्दशन चक्र से इस राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन स्वरभानु अमृत की कुछ बूंदे पीने में सफल हो गया था, इस लिए उसकी मृत्यु नहीं हुई. इसलिए स्वरभानु के दो भाग होने के बाद भी अमर हो गया. ज्योतिष शास्त्र में सिर वाले हिस्से को राहु और धड़ वाले हिस्से को केतु माना गया है. पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि राहु और केतु इस घटना का बदला लेने के लिए ही सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगाते हैं.


सूतक काल (Sutak)
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की जब स्थिति बनती है तो सूतक काल का ध्यान किया जाता है. लेकिन शास्त्रों के अनुसार सूतक काल हर ग्रहण में मान्य नहीं होता है. मान्यता के अनुसार जब चंद्र ग्रहण से 09 घंटे पूर्व सूतक काल प्रारंभ होता है. वहीं जब सूर्य ग्रहण लगता है तो सूतक काल 12 घंटे पूर्व आंरभ होता है. लेकिन विशेष बात ये है कि सूतक काल तभी मान्य होता है जब पूर्ण ग्रहण की स्थिति बनती है. आंशिक और उपछाया ग्रहण में सूतक नियमों का पालन नहीं किया जाता है. सूतक काल में मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं. भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है और गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.


वर्ष 2021 में ग्रहण्र की स्थिति (Grahan 2021 List)
पंचांग के अनुसार वर्ष 2021 में चार ग्रहण की स्थिति बनी हुई है. जिसमें से दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण हैं. पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को लगा था. इसके बाद 10 जून 2021 को दूसरा ग्रहण लगा था. अब 19 नवंबर 2021 को तीसरा ग्रहण चंद्र ग्रहण के रूप में लगने जा रहा है. इसके बाद साल का आखिरी ग्रहण जो सूर्य ग्रहण होगा, वो 4 दिसंबर 2021 को लगेगा.


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