Chandra Grahan 2022, Rahu Ketu: साल 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा को लगने जा रहा है. यह इस साल का चौथा ग्रहण और दूसरा चंद्र ग्रहण भी है. धार्मिक मान्यता है कि जब राहु सूर्य या चंद्र को ग्रसता है यानी निगलता है, तब ग्रहण होता है. आइये जानें इसकी रहस्य से भरी कहानी.


पौराणिक कथा के अनुसार क्यों होता है चंद्र ग्रहण


पौराणिक कथा के अनुसार देवों और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों में एक अमृत कलश भी निकला था. इसके लिए देवताओं और दानवों में विवाद होने लगा. इसको सुलझाने के लिए मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. मोहिनी रूप धारण किये हुए भगवान विष्णु ने अपने हाथ में अमृत कलश देवताओं और दानवों में समान भाग में बांटने का विचार रखा. जिसे भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से आसक्त होकर दानवों ने स्वीकार कर लिया. तब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग लाइन में बैठा दिया.


दानवों के साथ कुछ गलत हो रहा है. इसकी भनक दैत्यों की पंक्ति में स्वर्भानु नाम के दैत्य को लग गई. उसे यह आभास हुआ कि मोहिनी रूप में दानवों के साथ धोखा किया जा रहा है. ऐसे में वह देवताओं का रूप धारण कर सूर्य और चन्द्रमा के बगल आकर बैठ गए. जैसे ही अमृत पान को मिला, वैसे ही सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और यह बात भगवान विष्णु को बताई, जिस पर क्रोधित होकर नारायण भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र के राहु के गले पर वार किया, लेकिन तब तक राहु अमृत पी चुका था. इससे उसकी मृत्यु तो नहीं हुई, परन्तु उसके शरीर के दो धड़ जरूर हो गए.


सिर वाले भाग को राहु और धड़ वाले भाग को केतु कहा गया. इसके बाद ब्रह्मा जी ने स्वर्भानु के सिर को एक सर्प वाले शरीर से जोड़ दिया. यह शरीर ही राहु कहलाया और उसके धड़ को सर्प के दूसरे सिरे के साथ जोड़ दिया, जो केतु कहलाया. सूर्य और चंद्रमा के पोल खोलने के कारण राहु और केतु दोनों इनके दुश्मन बन गए. इसी कारण ये राहु और केतु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रस लेते हैं.


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